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जम्मू-कश्मीर में पाबंदियों पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला, इंटरनेट पर पाबंदी उचित नहीं

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अनुच्‍छेद 370 के तहत लगी पाबंदियों के खिलाफ दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा, हमारा काम था कि आजादी और सुरक्षा चिंताओ के बीच संतुलन कायम करना. इस मामले में सरकार द्वारा आदेश के कारण पेश करने का फैसले का कोई आधार नहीं आता. इंटरनेट के बेजा इस्तेमाल और सूचनाएं फैलाने के इंटरनेट के रोल के बीच के फर्क को हमें समझना होगा. कोर्ट कश्‍मीर की राजनीति में हस्‍तक्षेप नहीं करेगा. कोर्ट का दायित्‍व है कि नागरिकों को सभी सुरक्षा और अधिकार मिले. कोर्ट ने कहा, जम्‍मू-कश्‍मीर में पाबंदी को लेकर केंद्र सरकार के आदेशों की अगले 7 दिनों में समीक्षा होगी.

सुप्रीम कोर्ट ने माना कि इंटरनेट के जरिये सूचना का आदान-प्रदान आर्टिकल 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के दायरे में आता है. इंटरनेट पर बैन के वाजिब कारण होने चाहिए. कोर्ट ने धारा 144 को लेकर कहा, इसे विचारों की विविधता को दबाने के लिए इस्तेमाल नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा, सरकार द्वारा प्रतिबंध से जुड़े आदेश कोर्ट में पेश करने से इंकार करना सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने जम्‍मू-कश्‍मीर में ई-बैंकिंग और व्‍यापारिक सेवाएं बहाल करने का आदेश दिया है.

जम्मू-कश्मीर में 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही कई पाबंदियां लागू हैं. इन्हें लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. ये याचिकाएं कांग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद समेत कई अन्य नेताओं ने दायर की थीं. जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस आर. सुभाष रेड्डी, जस्टिस बी. आर. गवई की बेंच ने याचिकाओं पर फ़ैसला सुनाया है.