नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केरल पहला राज्य बन चुका है, ऐसे में अब केरल सरकार ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. सुप्रीम कोर्ट का रुख करने वाला केरल पहला राज्य बन चुका है, सरकार का कहना है कि ये एक्ट भारत के संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 के साथ-साथ धर्मनिरपेक्षता के मूल सिद्धांत का उल्लंघन है. इस याचिका में सीएए को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है. मामले की सुनवाई 22 जनवरी को होगी.
केरल सरकार ने 10 जनवरी को तीन राष्ट्रीय अखबारों के पहले पन्ने पर नागरिकता कानून के विरोध में विज्ञापन दिया था. इस विज्ञापन में लिखा गया था कि राज्य संवैधानिक मूल्यों की रक्षा करने की कोशिशों का नेतृत्व कर रहा है और केरल विधानसभा सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाली पहली विधानसभा है. राज्य ने लोगों की चिंताओं के देखते हुए साहसिक कदम उठाए गए हैं, और राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (NPR) अभियान को रोक दिया है जिससे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) बनेगा.
गौरतलब हो इस कानून के खिलाफ विपक्ष ने भी एकजुटता दिखाते हुए इस कानून को संविधान के मूलभावना के खिलाफ बताया है और इस कानून को रद्द करने की मांग की जा रही है. लेकिन केन्द्र सरकार ने इस कानून को 10 जनवरी से लागू करने का सरकारी सर्कुलर जारी कर दिया है.