नागरिकता संशोधन जब एक विधयक था उसी दौरान बांग्लादेश के विदेश मंत्री की भारत यात्रा रद्द हो गई थी. उसके बाद भी कई ऐसे मौके पर आए जब भारत-बांग्लादेश को एक साथ मंच साझा करना था उस दौरान भी बांग्लादेश ने दूरी बनाने में अपना फायदा समझा. ऐसे में दिल्ली में होने वाले रायसीना डायलॉग में बांग्लादेश के शामिल नहीं होने के चर्चा के दौरान शेख हसीना ने इस कानून को लेकर अपना रुख साफ कर दिया है. उन्होंने नागरिकता संशोधन कानून को गैर जरूरी बताते हुए कहा कि नागरिकता संशोधन कानून और एनआरसी भारत के आंतरिक मुद्दे हैं.
एक अखबार को दिए गए इंटरव्यू में शेख हसीना ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें व्यक्तिगत रूप से आश्वासन दिया है कि एनआरसी भारत का आंतरिक मुद्दा है और इससे बांग्लादेश के लोगों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. वहीं नागरिकता संशोधन कानून के बारे में उन्होंने कहा, ‘उन्हें नहीं पता की भारत सरकार ने ऐसा क्यों किया. इसकी जरूरत नहीं थी.’
नागरिकता संशोधन कानून पर दोनों सदन में चर्चा करते हुए भारत के गृहमंत्री अमित शाह ने लगातार कहा कि पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश में धार्मिक अल्पसंख्यकों पर अत्याचार किया जाता है. शेख हसीना ने भारत सरकार के इस रुख से अपने देश को अलग हटाया है. उन्होंने कहा, ‘यह बांग्लादेश का आंतरिक मामला है. हमारे यहां धार्मिक अल्पसंख्यक अत्याचार की वजह से देश नहीं छोड़ते. ना ही भारत से ऐसे लोग हमारे यहां आते हैं. लेकिन भारत के भीतर काफी लोग परेशानी में हैं.’