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CAA विरोध के बीच महाराष्ट्र सरकार ने लिया फैसला, प्रार्थना के बाद संविधान की प्रस्तावना पढ़ना होगा अनिवार्य

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नागरिकता संशोधन कानून को लेकर गुजरात में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसकी वजह से यह सुर्खियों में आ गया है. गुजरात के अहमदाबाद में एक निजी स्कूल की छात्राओं से 7 जनवरी 2020 को एक पोस्टकार्ड लिखवाया जिसमें नागरिकता संशोधन कानून को समर्थन करने की बात कही गई. वहीं नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के बाद पूरे देश में विरोध का दौर चल रहा है. प्रदर्शनकारी मान रहे हैं कि ये कानून संविधान के मूल भावना के खिलाफ है. इसलिए जगह-जगह पर प्रदर्शनकारी संविधान की प्रस्तान का पठन कर इस कानून का विरोध कर रहे हैं.

ऐसे में अब महाराष्ट्र सरकार ने स्कूलों में संविधान की प्रस्तावना सुबह की प्रार्थना के साथ पढ़ने को अनिवार्य करने की घोषणा की है. ये फैसला ऐसे वक्त पर किया गया जब नागरिकता संशोधन कानून का विरोध करने वाले लोग हर जगह पर संविधान का प्रस्तावना को पढ़ अपना विरोध जता रहे हैं. और इस कानून की वजह से देश के संविधान को खतरा मान रहे हैं. राज्य सरकार की ओर से जारी सर्कुलर में कहा गया है कि संविधान की प्रस्तावना पढ़ना ‘संविधान की स्वायत्ता, सभी का कल्याण’ अभियान का हिस्सा है. वर्षा गायकवाड़ ने कहा, ‘छात्र संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे ताकि इसकी महत्ता के बारे में उन्हें पता चले. यह सरकार का एक पुराना प्रस्ताव है लेकिन इसे हम 26 जनवरी से लागू करने जा रहे हैं.’

स्कूली शिक्षा मंत्री ने बताया कि सभी छात्र हर दिन सुबह की प्रार्थना के बाद संविधान की प्रस्तावना पढ़ेंगे. संविधान की प्रस्तावना पढ़ने को लेकर कांग्रेस-एनसीपी की सरकार ने फरवरी 2013 में एक सरकारी प्रस्ताव पेश किया था. चूंकि पुराना प्रस्ताव लागू नहीं हो पाया था इसलिए अब यह नया सर्कुलर जारी किया गया है.

शिवसेना के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस-एनसीपी उसके सहयोगी दल है और कई कांग्रेसी नेताओं ने सीएए को गैर-संविधानिक बताया है. उन नेताओं ने महाराष्ट्र में इस कानून को लागू नहीं होने देने की बात भी कही है. वहीं पिछले दिनों स्कूलों में जारी पोस्टकार्ड लिखवाने के मामले को लेकर भी महाराष्ट्र के मंत्री आदित्य ठाकरे ने केन्द्र सरकार का मजाक उड़ाया था.