गांधीनगर: 2017 में होने वाले गुजरात विधानसभा के फौरन बाद कांग्रेस के कई विधायकों ने कांग्रेस का साथ छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया. इन विधायकों में से कई लोग ऐसे थे जिन्होंने कांग्रेस में उपेक्षा होने का आरोप लगाया था. वहीं ऐसे भी कई नाम सामने है जिन्होंने सत्ता की लालच में कांग्रेस का साथ छोड़कर आज रुपाणी के मंत्रीमंडल में शामिल हो गये हैं. लेकिन अब वडोदरा के सावली विधानसभा सीट से बीजेपी विधायक केतन इमानदार ने पार्टी में उपेक्षा का आरोप लगाते हुए विधायक पद से इस्तीफा दे दिया है.
बीजेपी विधायक केतन इमानदार के इस्तीफे के पीछे मुख्य कारण उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोगों समस्या को लेकर पार्टी की उदासीनता मानी जा रही है. इतना ही नहीं बीजेपी के ही विधायक ने राज्य सरकार लापरवाही का भी आरोप लगाया है.
गुजरात विधानसभा अध्यक्ष राजेन्द्र त्रिवेदी को लिखे पत्र में, उन्होंने कहा कि सरकार के मंत्री मेरे निर्वाचन क्षेत्र के लोगों की कई मुख्य मांगों के तरफ ध्यान नहीं दे रहे. इतना ही नहीं सरकार और प्रशासन विकास के कामों को लेकर उदासीनता दिखा रही है. इतना ही नहीं उन्होंने पार्टी ने मान-सम्मान नहीं मिलने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि हमेशा पार्टी के नियुमानुसार काम करने के बावजूद भी मेरी और मेरी सहयोगियों की हमेशा उपेक्षा की जा रही थी.
केतन इनामदार 2012 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा के उम्मीदवारों को हराकर निर्दलीय विधायक बनने में कामयाब हुए थे. उसके बाद उन्होंने भाजपा ज्वाइन कर लिया था. केतन इनामदार के पिता कांग्रेस में थे वे वडोदरा जिला पंचायत के सदस्य भी रह चुके है. केतन इनामदार 2017 में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा था. जिसके बाद मंत्रिमंडल में हिस्सा नहीं मिलने पर नाराज लोगों में उनका नाम भी चर्चा में आया था.
जानकारी ऐसी भी मिल रही है कि केतन इमानदार के इस्तीफे के बाद कांग्रेस का एक दल सक्रिय हो गया है और इमानदार से संपर्क करने की कोशिश कर रहा है. लेकिन अभी तक बीजेपी की तरफ से इस मामले को लेकर कोई जवाब सामने नहीं आया है.