भ्रष्टाचार मुक्त शासन की बड़े-बड़े दावे करने वाली मोदी सरकार को एक और झटका लगा है. आर्थिक मोर्चे पर पूरी तरीके से फेल मोदी सरकार भ्रष्टाचार के मामले में भी दो पायदान आगे बढ़ी है. ग्लोबल करप्शन इन्डेक्स में भारत अब 80वें पायदान पर खिसक गया है, जबकि 2018 में देश 78वें नंबर पर था. इसका मतलब यह हुआ कि देश में भ्रष्टाचार बढ़ा है. डेनमार्क 180 देशों की इस लिस्ट में पहले नंबर पर है. इसका मतलब यह है कि वहां भ्रष्टाचार सबसे कम है. विश्व आर्थिक फोरम की बैठक के बीच दावोस में इस लिस्ट को जारी किया गया.
एशियाई देशों में पाकिस्तान को इस लिस्ट में 120वां तो बांग्लादेश को 146वां स्थान हासिल हुआ है. इस लिस्ट के टॉप 10 में फिनलैंड, सिंगापुर, स्वीडन, स्विट्जरलैंड, नॉर्वे, नीदरलैंड, जर्मनी और लक्समबर्ग आदि देश शामिल रहे. इस इन्डेक्स में 0 से 100 के पैमाने का इस्तेमाल किया जाता है. 100 नंबर का अर्थ भ्रष्टाचार मुक्त होता है. वहीं 0 का अर्थ अत्याधिक भ्रष्टाचार है. डेनमार्क और न्यूज़ीलैंड का स्कोर 87 रहा तो भारत का 41 रहा. लिस्ट में शामिल एक से 10 नंबर के देशों का स्कोर 80 से ऊपर रहा है. इस लिस्ट में सबसे नीचे 180वें नंबर पर सोमालिया रहा. भारत के पड़ोसी देशों की बात करें तो 25वें नंबर पर भूटान, 93वें नंबर पर श्रीलंका और 113वें नंबर पर नेपाल रहा.
ग्लोबल करप्शन इंडेक्टस में भारत को मिला स्थान यह बताने के लिए काफी है कि देश में भ्रष्टाचार कम नहीं हो रहा है. अफ्रीकी देशों में सबसे अधिक भ्रष्टाचार तो पश्चिमी यूरोपीय और यूरोपीय यूनियन देशों में भ्रष्टाचार सबसे कम है. इस लिस्ट में सबसे नीचे सोमालिया, सूडान, सीरिया जैसे देश हैं. इस इंडेक्टस में 22 देशों की रैंकिंग सुधरी है तो 21 देशों की रैंक में कमी आई है.