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जम्मू-कश्मीर के बाद यूरोपीय संसद में CAA का उठा मुद्दा, भारत का दो टूक जवाब बताया आंतरिक मामला

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इन दिनों देश के अलग-अलग हिस्सों में नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है. इसी बीच सीएए के खिलाफ यूरोपियन संसद में प्रस्ताव पेश किया गया है. जिस पर बहस और मतदान किया जाएगा. संसद में लाए गए इस प्रस्ताव में कहा गया कि इससे भारत में नागरिकता तय करने के तरीके में खतरनाक बदलाव हो सकता है. इससे बहुत बड़ी संख्या में लोग स्टेटलैस यानि बिना नागरिकता के हो जाएंगे. यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों के इस प्रस्ताव पर भारत सरकार ने कड़ी आपत्ति जताई है.

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रस्ताव लाने की रिपोर्टों पर भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया जाहिर की है. भारत ने यूरोपीय संघ से कहा है कि हमारा आंतरिक मामला है. इस कानून को संसद में सार्वजनिक बहस के बाद उचित प्रक्रिया और लोकतांत्रिक माध्यमों द्वारा अपनाया गया है. हम उम्मीद करते हैं कि सीएए को लेकर आगे बढ़ने से पहले सही मूल्यांकन करेंगे और हमारे संपर्क में रहेंगे.

यूरोपीय संसद के कुछ सदस्यों ने नागरिकता कानून के खिलाफ प्रस्ताव तैयार किया है जिस पर यूरोपीय संसद में बहस और मतदान होगा. यूरोपियन संसद में 29 जनवरी को प्रस्ताव पेश किया जाएगा, वहीं इस प्रस्ताव पर 30 जनवरी को वोटिंग की जाएगी. भारत सरकार से जुड़े हुए सूत्रों का कहना है कि एक लोकतांत्रिक देश होने की वजह से यूरोपीय संघ को भारतीय लोकतंत्र के आंतरिक ममलों में दखल नहीं देना चाहिए. भारत की सरकार एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया से चुनी गई है, ऐसे में भारतीय संसद के फैसले के खिलाफ किसी भी प्रस्ताव पर यूरोपीय संसद को कार्रवाई नहीं करनी चाहिए.