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केंद्र सरकार को मिली बड़ी कामयाबी, बोडोलैंड मामले को लेकर समझौता, जल्द करेंगे हथियारों के साथ समर्पण

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पिछले लंबे समय से चल रहे बोडोलैंड विवाद पर पूर्ण विराम लग चुका है. दरअसल मोदी सरकार और बोडो संगठनों के बीच एक समझौता हुआ है जिसके तहत पिछले लंबे समय से चल रही बोडोलैंड की मांग पर रोक लगेगी. दरअसल असम में लंबे समय से एक अलग बोडोलैंड की मांग चल रही थी लेकिन अब इसकी मांग करने वाले चारों गुटों ने हिंसा का रास्ता छोड़ने का फैसला कर लिया है.

गृहमंत्री अमित शाह, असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल और हिमंता बिश्व शर्मा की मौजूदगी में बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर हो गए हैं. इस दौरान बोडो आंदोलन से जुड़े सभी बड़े नेता शामिल थे. अमित शाह ने बताया कि 30 जनवरी को 1535 कैडर हथियारों के साथ समर्पण करेंगे. उन्होंने बताया कि बोडोलैंड आंदोलन में 2900 नागरिक, 239 सुरक्षाकर्मी और 900 के करीब बोडोलैंड आंदोलन से जुड़े लोगों ने जान गंवाई है.

समझौते के बाद गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, आज केंद्र, असम सरकार और बोडो प्रतिनिधियों ने एक महत्वपूर्ण समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. यह समझौता असम के लिए और बोडो लोगों के लिए एक सुनहरा भविष्य सुनिश्चित करेगा. उन्होंने कहा, 130 हथियारों के साथ 1550 कैडर 30 जनवरी को आत्मसमर्पण करेंगे. गृह मंत्री के रूप में, मैं सभी प्रतिनिधियों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सभी वादे समयबद्ध तरीके से पूरे होंगे. वहीं इस मसले पर दिल्ली में असम के मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा का बयान भी सामने आया है. उन्होंने कहा है कि बोडो समाज के सभी हितधारकों ने असम की क्षेत्रीय अखंडता की पुष्टि करते हुए इस समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं.

गौरतलब हो कि साल 1987 से चल रहे आंदोलन हिंसक बन गया था जिसमें 2823 लोगों की मौत हो गई. इसके अलावा 949 बोडो काडर के लोग और 239 सुरक्षाबल भी मारे गए. जानकारी ऐसी भी मिल रही है कि इस समझौता का असम में कई गैर बोडो समूह विरोध कर रहे हैं. वहीं असम विधानसभा में विपक्ष के नेता देबब्रत सैकिया ने मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से रविवार को अपील की कि वे बोडो समूहों के साथ किसी भी शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले सभी पक्षकारों को विश्वास में लें.