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अगर महात्मा गांधी जिंदा होते तो नागरिकता संशोधन कानून का जरुर करते विरोध: रामचंद्र गुहा

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अहमदाबाद: 30 जनवरी को महात्मा गांधी के शहादत दिवस के अवसर पर अहमदाबाद में नेहरू ब्रिज पर CAA-NPR-NCR के विरोध में मानव श्रृंखला बनाई गई. इस मानव शृंखला में पूरे शहर के लोकतंत्र में विश्वास रखने वाले लोगों ने हिस्सा लिया. इस मानव श्रृंखला में 1500 से ज्यादा लोगों ने हिस्सा लेकर मांग किया कि देश को धर्म आधारित नागरिकता कानून मंजूर नहीं.

गुजरात एलायंस अगेंस्ट CAA-NRC-NPR और हैं एकता जन अधिकार आंदोलन के बैनर लते होने वाले मानव श्रृंखला में शामिल होने के लिए वरिष्ठ इतिहासकार राम चन्द्र गुहा भी आए. इस मानव श्रृंखला में मुख्य रूप से अशीम रॉय, मुफ्ती अब्दुल कय्यूम, प्रोफेसर निसार अंसारी, मुजाहिद नफीस, नीता बेन महादेव, एडवोकेट आनंद यज्ञिक, असलम कुरैशी, हाजी असरार बेग, शमशाद पठान, इम्तियाज़ पठान, कलियप्पन, जॉन डायस, नोएल क्रिस्टी, रमेश भाई, महेश गजेरा, सोनल मेहता, इकराम मिर्ज़ा, राजू भाई अरब, मुफ्ती अरशद, हाफ़िज़ बशीर साहब, नटवर देसाई, युनूस शेख, अनीस देसाई आदि प्रमुख रूप से मौजूद थे.

जाने माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा महात्मा गांधी के शाहादत दिवस पर होने वाले एक व्याख्यान में हिस्सा लेते आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ‘अपना प्रचार’ करने के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम का गलत इस्तेमाल किया है साथ ही उन्होंने प्रश्न किया कि क्या प्रधानमंत्री बनने से पहले भी वह गांधी को ‘पसंद’ करते थे. इतना ही नहीं उन्होंने संशोधित नागरिकता कानून को लेकर केन्द्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अगर बापू जिंदा होते तो वह इसका विरोध करते.

गुहा ने नागरिकता कानून को लेकर गांधीवादी संस्थाओं के खामोस रवैया पर भी सवाल किया. साथ ही उन्होंने साबरमती आश्रम संरक्षण एवं स्मारक न्यास के न्यासी कार्तिकेय साराभाई को भी सलाह दी कि प्रधानमंत्री बनने के बाद आश्रम को मोदी से दूरी रखनी चाहिए थी.