मोदी सरकार की शिक्षा नीति के खिलाफ जुलूस निकालकर विरोध करना बीएचयू के छात्रों को भारी पड़ा है. विरोध करने की वजह से बीएचयू प्रशासन ने 9 छात्र-छात्राओं को ने नोटिस दिया है. बीएचयू के इस रवैये के खिलाफ छात्रों ने प्रेस कांफ्रेंस कर अपना विरोध दर्ज किया, और प्रशासन पर नोटिस देकर डराने का आरोप भी लगाया है.
गौरतलब हो कि 19 नवम्बर 2019 को जेएनयू में फीस वृद्धि का विरोध कर रहे छात्रों के ऊपर हुई लाठीचार्ज के विरोध में ‘नरेंद्र मोदी शिक्षा विरोधी’ के बैनर तले बीएचयू के कुछ छात्रों ने विश्वनाथ मंदिर से लंका गेट तक मार्च किया था. जिसके बाद जनवरी में छात्रों पर दुर्व्यवहार का आरोप लगाते हुए बीएचयू प्रशासन ने 9 लोगों को नोटिस जारी कर दिया है. छात्रों का कहना है छात्र-छात्राओं को नोटिस में गुमराह बताया गया है और चिन्हित लोगों को ही नोटिस दिया है.
मोदी सरकार की शिक्षा नीति का विरोध करने वाले छात्र इस सिलसिले में जानकारी देते हुए कहते हैं कि ’19 नवम्बर के मार्च के दौरान भी एबीवीपी के पतंजलि पांडेय और अरुण चौबे सहित अन्य ने शांतिपूर्ण मार्च में शामिल लड़के-लड़कियों पर हमला किया था. उनके साथ गाली गलौज और धक्का मुक्की की थी. लेकिन प्रशासन ने उनको कोई नोटिस नहीं दिया.’
नोटिस मिलने के बाद कई छात्र-छात्राओं ने कि अगर इस तरह लोगों को टारगेट करके हमला किया जाता रहा तो हम सभी वाइस चांसलर का घेराव करेंगे. नीतिश कुमार यह भी बताते हैं कि, ‘जो छात्र-छात्राएं बीएचयू में अराजकता और तोड़-फोड़ करते हैं प्रशासन उनको कोई नोटिस नहीं देता है. उल्टा उन्हें प्रशासन की शह मिलती रही है.