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सबरीमाला मामला : सुप्रीम कोर्ट ने कहा, वकीलों में मतभेद, बहस के मुद्दे अब हम तय करेंगे

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की बेंच ने सोमवार को सबरीमाला और अन्य धर्मस्थलों पर महिलाओं से भेदभाव के मुद्दे पर सुनवाई की. इस दौरान वरिष्ठ वकीलों ने बेंच से कहा कि वह सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश के मामले में दूसरे मामलों को नहीं जोड़ सकती. इस पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, पूर्व अटॉर्नी जनरल के पाराशरण और पूर्व सॉलिसिटर जनरल रंजीत कुमार ने अपना विरोध जाहिर किया. इन लोगों ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय, आस्था और मौलिक अधिकारों से जुड़े इस अहम मुद्दे का फैसला कर सकती है. 9 जजों की बेंच ने कहा, दोनों पक्षों के वकीलों में बहस के मुद्दे को लेकर मतभेद हैं. सभी वकीलों ने हमें सुझाव दिया कि हम मुद्दे तय करें और हम यह करेंगे. सुप्रीम कोर्ट 6 फरवरी को समयसीमा और मुद्दे तय करेगी.

9 सदस्यीय बेंच में चीफ जस्टिस के अलावा जस्टिस आर भानुमति, जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस एल नागेश्वर राव, जस्टिस एमएम शांतानागौर, जस्टिस एसए नजीर, जस्टिस सुभाष रेड्डी, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस सूर्यकांत शामिल हैं. बेंच सबरीमाला में महिलाओं के प्रवेश, मस्जिदों में महिलाओं के प्रवेश, दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय की महिलाओं के खतना और पारसी महिलाओं के गैर-पारसी से शादी करने पर अग्निमंदिर (पूजा स्थल) में जाने से रोक समेत 7 ऐसे मुद्दों की सुनवाई कर रही है, जो आस्था और मौलिक अधिकारों से जुड़े हुए हैं.

चीफ जस्टिस ने कहा कि 5 जजों की बेंच ने सवाल तय किए. उन पर विचार जरूरी है. हम यहां सबरीमाला पुनर्विचार के लिए नहीं, बल्कि बड़े मुद्दे को तय करने के लिए बैठे हैं, जिसमें सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश की मांग जैसी मुस्लिम महिलाएं भी मस्जिद में प्रवेश मांग रही हैं. इसके साथ ही दाउदी बोहरा में महिलाओं का खतना और पारसी महिलाओं के दूसरे धर्म में शादी करने पर अगियारी पर रोक को चुनौती दी गई है. एक वर्ग का कहना है कि मुस्लिम महिलाएं मस्जिद में तो प्रवेश कर सकती हैं लेकिन वो पुरुषों के साथ इबादत नहीं कर सकतीं.

वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि ये ऐसे मुद्दे हैं जिसका असर सभी धर्मों पर पड़ेगा. इसका असर जाति व्यवस्था पर भी पड़ेगा, आप इसे कैसे तय करेंगे? इस पर सीजेआई ने कहा- हम इस आपत्ति को एक मुद्दे के रूप में समझेंगे और सुनेंगे भी. हम केवल उन लेखों की व्याख्या तय करने जा रहे हैं जो सबरीमाला और अन्य मामलों में भी लागू किए गए हैं. सीजेआई ने गुरुवार को कहा था कि अदालत सुनवाई के दौरान महिला अधिकारों, धार्मिक विश्वास जैसे बिंदु पर न्यायिक समीक्षा की गुजाइंश पर विचार करेगी.