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सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले पुरुष सैनिक महिला कमंडर को स्वीकार नहीं कर पाएंगे

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नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि सेना में महिलाओं को अभी कमांडर जैसे पद देना अभी ठीक नहीं होगा. उसके मुताबिक सेना में ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले पुरुषों की एक बड़ी संख्या है जो अभी किसी महिला की अगुआई में चलने के लिए मानसिक रूप से तैयार नहीं होंगे. अंग्रेजी अखबार द टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक केंद्र ने परिवार के मोर्चे पर महिलाओं की ज्यादा जरूरत और युद्ध की स्थिति में उन्हें बंदी बनाए जाने के जोखिम का भी हवाला दिया.

कुछ महिला अधिकारी परमानेंट कमीशन के बाद उन्हें कमांड पोस्टिंग दिए जाने की मांग के साथ शीर्ष अदालत पहुंची हैं. इसका विरोध करते हुए केंद्र ने यह भी कहा है कि पोस्टिंग के मामले में महिला और पुरुष अधिकारियों को एक तरह से नहीं देखा जा सकता क्योंकि शारीरिक क्षमताओं से लेकर तमाम दूसरे मामलों तक उनमें फर्क है जिसमें मातृत्व और बच्चे की देखभाल जैसे पहलू भी शामिल हैं.

वरिष्ठ वकील आर बालूसुब्रह्मनियन और वकील नेहा गोखले ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और अजय रस्तोगी की बेंच को बताया कि इस तरह का बदलाव से सेना की गति पर असर पड़ सकता है. उधर, इन महिलाओं की अधिवक्ता मीनाक्षी लेखी और एश्वर्या भट्टी ने केंद्र की इस दलील का विरोध किया. उन्होंने कहा कि कई महिला अधिकारियों ने विपरीत हालात में असाधारण वीरता दिखाई है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि मिंती अग्रवाल ने फ्लाइट कंट्रोलर के तौर पर विंग कमांडर अभिनंदन को गाइड किया था जब उन्होंने पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिराया था. इसकी वजह से अग्रवाल को युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया गया था.