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निर्भया केस में अलग-अलग फांसी से HC का इनकार, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दी चुनौती

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नई दिल्ली : निर्भया गैंगरेप मामले में चारों दोषियों को एक साथ ही फांसी की सजा दी जाएगी. बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की अर्जी पर फैसला सुनाते हुए कहा कि चारों दोषियों को अलग-अलग फांसी नहीं हो सकती. वहीं अब इस मामले में केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी है. निर्भया मामले पर रविवार को ही दिल्ली हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था लेकिन फैसला सुनाने की तारीख बुधवार को तय हुई थी. केंद्र सरकार की दलील है कि कानूनों का दुरुपयोग कर निर्भया के दोषी हर बार सजा से बच जा रहे हैं.

क्या हुआ कोर्ट में

दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने सुनवाई के दौरन प्रिजन रूप पढ़ा. जज ने दोनों पक्ष की ओर से पेश की गई दलीलों का भी जिक्र किया. दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि नियम के मुताबिक फांसी केवल उसी समय टल सकती है जब दोषी की अपील सुप्रीम कोर्ट में लंबित हो. सुप्रीम कोर्ट ने निचले अदालत के फैसले से असहमति भी जताई. कोर्ट ने कहा कि जब मई 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की याचिका को खारिज कर दिया था तो किसी भी संबंधित विभाग ने डेथ वारंट क्यों नहीं जारी किया. इसी का फायदा दोषियों ने भरपूर उठाया. एक याचिका खारिज होने के बाद दूसरी याचिका दायर करते रहे. यहां तक सरकारें सोई रहीं और अक्षय ने पुनर्विचार याचिका काफी दिन बाद लगाई. 3 लोगों की पुनर्विचार याचिका खारिज हो चुकी थीं.

ये थी केंद्र की मांग

केंद्र सरकार ने मांग की थी कि जिन दोषियों की याचिकाएं किसी भी कोर्ट या राष्ट्रपति के पास लंबित नहीं है, उन्हें फांसी पर लटका दिया जाए. केंद्र की मांग थी कि किसी भी एक दोषी की याचिका लंबित होने की वजह से अन्य तीन दोषियों को राहत न मिले. इसके साथ ही दिल्ली हाई कोर्ट ने सामूहिक दुष्कर्म और हत्या मामले के सभी चार दोषियों को कानूनी उपायों का उपयोग करने के लिए अदालत ने बुधवार को एक सप्ताह का समय दिया है.

ये थी निर्भया के माता-पिता की मांग

निर्भया के माता-पिता के वकीलों ने मंगलवार को दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत के समक्ष मामले को अर्जेंट रूप से पेश किया था और गैंगरेप-हत्या के चारों दोषियों के खिलाफ डेथ वारंट पर से रोक हटाने की मांग वाली केंद्र की याचिका के जल्द निस्तारण की मांग की थी. निर्भया के माता-पिता के वकील जितेंद्र झा ने मगंलवार को कहा था कि न्यायमूर्ति कैत ने जवाब दिया कि उन्होंने शनिवार और रविवार को सुनवाई की, जिससे पता चला कि अदालत मामले की अर्जेसी को समझती है और यह भी आश्वासन दिया है कि वह जल्द से जल्द आदेश को पारित करेंगे.