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राम मंदिर ट्रस्ट में हिंदू पक्ष के वकील रहे पाराशरण को मिली प्रमुख भूमिका, अयोध्या के राजा भी ट्रस्टी बने

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मोदी सरकार ने राम मंदिर ट्रस्ट के सदस्यों का ऐलान कर दिया है. अयोध्या विवाद मामले में हिंदू पक्ष के वकील रहे 92 साल के वकील के. पाराशरण को राम मंदिर निर्माण के लिए बने श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट का चेयरमैन बनाए जाने की चर्चा है. परासरण का दिल्ली के ग्रेटर कैलाश स्थित उनके घर में ट्रस्ट का कार्यालय होगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को लोकसभा में राम मंदिर ट्रस्ट के बारे में घोषणा की. इसके 4 घंटे बाद ट्रस्ट से जुड़े 15 सदस्यों के बारे में जानकारी सामने आई.

पाराशरण को चेयरमैन बनाए जाने की उम्मीद

92 साल के वकील के. पाराशरण को राम मंदिर निर्माण ट्रस्ट का चेयरमैन बनाए जाने की चर्चा है. उनकी देखरेख में मंदिर का काम होगा. वह इंदिरा गांधी और राजीव गांधी सरकार में अटॉर्नी जनरल रहे. उन्हें पद्म भूषण और पद्म विभूषण से सम्मानित किया जा चुका है. ट्रस्ट में निर्मोही अखाड़े को भी जगह दी गई है, लेकिन अखाड़े के महंत दिनेंद्र दास को ट्रस्ट की मीटिंग में वोटिंग का अधिकार नहीं होगा.

अयोध्या से तीन नाम

विमलेंद्र मोहन प्रताप मिश्रा, डॉ. अनिल मिश्र और महंत दिनेंद्र दास को सदस्य बनाया गया है और ये तीनों अयोध्या से हैं. विमलेंद्र अयोध्या राज घराने के वंशज हैं. इसके अलावा रामायण मेला संरक्षक समिति के सदस्य भी हैं. वह बसपा के टिकट पर राजनीति में भी किस्मत अपना चुके हैं. उन्होंने 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन हार गए. वहीं अनिल मिश्र भी होम्योपैथिक डॉक्टर हैं. फिलहाल आरएसएस के अवध प्रांत के प्रांत कार्यवाह भी हैं. इन्होंने 1992 में राम मंदिर आंदोलन में पूर्व सांसद विनय कटियार के साथ महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसके अलावा महंत दिनेंद्र दास अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के सदस्य हैं. वह निर्मोही अखाड़ा की ओर से अयोध्या बैठक के प्रमुख रहे हैं. पिछले कई साल से राम मंदिर मुद्दे पर निर्मोही अखाड़ा का पक्ष रखते आए हैं.

अन्य सदस्य

जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद : बद्रीनाथ स्थित ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य. हालांकि, इनके शंकराचार्य बनाए जाने पर विवाद भी रहा. ज्योतिष मठ की शंकराचार्य की पदवी को लेकर द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी वासुदेवानंद सरस्वती ने हाईकोर्ट में केस दाखिल किया था.

जगतगुरु मध्वाचार्य स्वामी विश्व प्रसन्नतीर्थ जी महाराज: कर्नाटक के उडुपी स्थित पेजावर मठ के 33वें पीठाधीश्वर हैं. दिसंबर 2019 में पेजावर मठ के पीठाधीश्वर स्वामी विश्वेशतीर्थ के निधन के बाद पदवी संभाली.

युगपुरुष परमानंद जी महाराज: अखंड आश्रम हरिद्वार के प्रमुख. वेदांत पर 150 से ज्यादा किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं. इन्होंने साल 2000 में संयुक्त राष्ट्र में आध्यात्मिक नेताओं के शिखर सम्मेलन को संबोधित किया था.

स्वामी गोविंद देव गिरि जी महाराज: महाराष्ट्र के अहमद नगर में 1950 में जन्म हुआ. रामायण, श्रीमद्भगवद्गीता, महाभारत और अन्य पौराणिक ग्रंथों का देश-विदेश में प्रवचन करते हैं. स्वामी गोविंद देव महाराष्ट्र के विख्यात आध्यात्मिक गुरु पांडुरंग शास्त्री अठावले के शिष्य हैं.

श्री कामेश्वर चौपाल, पटना (एससी सदस्य): संघ ने कामेश्वर को पहले कारसेवक का दर्जा दिया है. उन्होंने 1989 में राम मंदिर में शिलान्यास की पहली ईंट रखी थी. राम मंदिर आंदोलन में सक्रिय भूमिका और दलित होने के नाते उन्हें यह मौका दिया गया. 1991 में रामविलास पासवान के खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ा.

महंत दिनेंद्र दास: अयोध्या के निर्मोही अखाड़े के अयोध्या बैठक के प्रमुख. ट्रस्ट की बैठकों में उन्हें वोटिंग का अधिकार नहीं होगा.

बोर्ड ऑफ ट्रस्टी द्वारा नामित एक ट्रस्टी, जो हिंदू धर्म का हो.

बोर्ड ऑफ ट्रस्टी द्वारा नामित एक ट्रस्टी, जो हिंदू धर्म का हो.

केंद्र सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि, जो हिंदू धर्म का होगा और केंद्र सरकार के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अफसर होगा. यह व्यक्ति भारत सरकार के संयुक्त सचिव के पद से नीचे नहीं होगा. यह एक पदेन सदस्य होगा.

राज्य सरकार द्वारा नामित एक प्रतिनिधि, जो हिंदू धर्म का होगा और उत्तर प्रदेश सरकार के अंतर्गत भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) का अफसर होगा. यह व्यक्ति राज्य सरकार के सचिव के पद से नीचे नहीं होगा. यह एक पदेन सदस्य होगा.

अयोध्या जिले के कलेक्टर पदेन ट्रस्टी होंगे. वे हिंदू धर्म को मानने वाले होंगे. अगर किसी कारण से मौजूदा कलेक्टर हिंदू धर्म के नहीं हैं, तो अयोध्या के एडिशनल कलेक्टर (हिंदू धर्म) पदेन सदस्य होंगे.

राम मंदिर विकास और प्रशासन से जुड़े मामलों के चेयरमैन की नियुक्ति ट्रस्टियों का बोर्ड करेगा. उनका हिंदू होना जरूरी है.