नई दिल्ली: केंद्र सरकार एयर इंडिया को बेचने की तैयारी में है. इसको लेकर सरकार ने 17 मार्च तक आवेदन मंगाए हैं. पिछले साल जब सरकार ने एयर इंडिया की 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने के लिए बोलियां मंगवाई थीं, तब भी टाटा समूह की ओर से इसको खरीदने की बात उठी थी. हालांकि तब समूह इसको खरीदने से पीछे हट गया था. एयर इंडिया में 24 फीसदी हिस्सेदारी पास रखने की सरकार की योजना का भी विरोध हुआ था. हालांकि अब खबरों के मुताबिक टाटा समूह सिंगापुर एयरलाइंस की साझेदारी में एयर इंडिया का अधिग्रहण कर सकती है. ये दोनों कंपनियां बोली लगाने के अंतिम चरण में हैं. टाटा सिंगपुर एयरलाइंस ग्रुप विस्तारा विमान सेवा का संचालन करती है.
खबरों के मुताबिक इन दोनों ने इस सौदे के कारोबारी ढांचे पर काम करना शुरू कर दिया है. इसके तहत एयर एशिया इंडिया का विलय शामिल है, जिसमें इनकी 51 फीसदी हिस्सेदारी है. वहीं एयर इंडिया एक्सप्रेस का भी विलय किया जायेगा, जो एयर इंडिया की 100 फीसदी हिस्सेदारी वाली सब्सिडरी है. टाटा समूह और एयर इंडिया दोनों का कार्यवाहक केंद्र मुंबई है. वर्तमान में एयर इंडिया की वित्तीय हालत खस्ता है. बीते एक दशक में कंपनी को 69,575.64 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है. नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने दिसंबर 2019 में संसद में यह जानकारी दी थी. साल 2017-18 में एयर इंडिया को 5438.18 करोड़ रुपये और 2018-19 में 8556.35 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था. इतना ही नहीं एयर इंडिया पर 60,000 करोड़ रुपये का कर्ज भी है.
मालूम हो कि टाटा समूह के संस्थापक जेआरडी टाटा थे. उन्होंने 1932 को टाटा एयर सर्विसेज नाम से एयरलाइंस की शुरुआत की थी. एयरलाइंस की स्थापना के बाद जेआरडी टाटा ने कराची से बंबई तक हवाई जहाज को खुद उड़ाया था. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 29 जुलाई 1946 को टाटा एयरलाइंस पब्लिक लिमिटेड कंपनी बन गई. तब से इसे एयर इंडिया के नाम से जाना जाता है. साल 1947 में आजादी के तुरंत बाद भारत सरकार ने एयर इंडिया में 49 फीसदी की भागेदारी कर ली थी. साल 1953 में भारत सरकार ने टाटा संस से टाटा एयरलाइंस की अधिकतम हिस्सेदारी खरीद कर इसका राष्ट्रीयकरण कर दिया था.