मंदी को लेकर भाजपा नेताओं के अजीबोगरीब बयानों का सिलसिला जारी है. इस मामले में ताजा बयान उत्तर प्रदेश के बलिया से सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त का है. उनका कहना है कि मंदी नहीं है क्योंकि लोग कोट और जैकेट पहन रहे हैं.
अपने निर्वाचन क्षेत्र में एक कार्यक्रम में वीरेंद्र सिंह मस्त ने कहा, ‘मंदी को लेकर दिल्ली और दुनिया में चर्चाएं हैं. अगर कोई मंदी थी, तो हम यहां कुर्ता और धोती पहनकर आते, कोट और जैकेट में नहीं. अगर मंदी होती तो हम कपड़े, पैंट और पजामा नहीं खरीदते.’
विपक्षी दल अर्थव्यवस्था की मंदी को लेकर सरकार पर हमलावर हैं. एजेंसियां भारत की विकास दर के अनुमान घटा रही हैं. अर्थशास्त्री भी इसकी चेतावनियां दे रहे हैं. हाल में मोदी सरकार के आर्थिक सलाहकार रहे अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा था कि अर्थव्यवस्था आईसीयू की तरफ बढ़ रही है. लेकिन सरकार का कहना है कि यह मंदी नहीं बल्कि सुस्ती है. इससे पहले केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद का एक अजीबोगरीब बयान भी चर्चा में रहा था. उनका कहना था कि मंदी नहीं है क्योंकि ऐसा होता तो फिल्में इतना कारोबार नहीं करतीं. रविशंकर प्रसाद ने कहा था, ‘तीन हिंदी फिल्में एक दिन में 120 करोड़ रुपये का कारोबार कर रही हैं, तो फिर देश में मंदी कहां है?’
पिछले कुछ साल से देश के आर्थिक विकास की रफ्तार काफी घट गई है. इस वित्त वर्ष यानी 2019-20 में महज 5 फीसदी का ग्रोथ होने का अनुमान है. इस वित्त वर्ष की सितंबर में खत्म दूसरी तिमाही में तो महज 4.8 फीसदी की ग्रोथ हुई है. सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी पिछले एक साल में इकोनॉमी का सबसे चर्चित मसला रहा है. देश की जीडीपी ग्रोथ की रफ्तार काफी घट गई है और आधा दर्जन से ज्यादा देसी-विदेशी एजेंसियों ने यह अनुमान जारी किया है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2019-20 में जीडीपी ग्रोथ रेट 5 फीसदी के आसपास ही रहेगा.