बरेली में करीब 54 साल पहले गिरा झुमका मिल गया है ! इससे पहले की आप कोई और मतलब निकालें, पहले पूरा माजरा समझ लीजिए. दरअसल बरेली डेवलपमेंट अथॉरिटी (बीडीए) ने शहर के परसा खेड़ा इलाके में झुमका तिराहा बनाया है, जहां पर 14 फीट ऊंचा झुमका लगाकर टूरिस्ट स्पॉट बनाने का प्रयास किया है. यही वजह है कि एक बार फिर बरेली का झुमका सुर्खियों में है. सोशल मीडिया पर इसको लेकर खूब चर्चा हो रही है.
1966 में आया था गीत
1966 में रिलीज़ हुई फिल्म ‘मेरा साया’ का गाना था ‘झुमका गिरा रे बरेली के बाजार में’. इस गाने ने बरेली और उसके झुमका कनेक्शन को देशभर में मशहूर कर दिया. इसके बाद तमाम दूसरी फिल्मों के गानों में भी बरेली के बाजार में झुमका खोने का जिक्र हुआ. ऐसे में अब कहना गलत नहीं होगा कि करीब 54 साल बाद बरेली को झुमका मिल गया है.
14 फीट ऊंचा और 270 किलो वजन
दिल्ली से बरेली आने वाले राजमार्ग पर एक प्वाइंट तय किया गया जिसे झुमका तिराहा बनाया गया और वहां 14 फीट ऊंचा और 270 किलो वजन का झुमका लगाया गया है. खबरों के मुताबिक स्मार्ट सिटी को लेकर कुछ महीने पहले एक बैठक हुई जिसमें डीआईजी, कमिशनर, बीडीए अधिकारी समेत तमाम लोग शामिल हुए. इस दौरान झुमका तिराहा को लेकर भी चर्चा उठी लेकिन बीडीए के पास फंड की दिक्कत आ रही थी. ऐसे में बरेली इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के ओनर व्यापारी केशव अग्रवाल सीएसआर (कॉरपोरेट एंड सोशल रेस्पॉनसबिलिटी) के तहत बीडीए का सहयोग करने को तैयार हो गए.
मुरादाबाद से मंगाया गया पीतल, गुरुग्राम में हुई डिजाइनिंग
खबरों के मुताबिक पीतल नगरी मुरादाबाद से झुमके के लिए पीतल मंगवाया गया. वहीं, इसकी डिजाइनिंग गुरुग्राम से कराई गई. इसे बनाने में पीतल और तांबे का इस्तेमाल किया गया है. वहीं इसमें करीब आठ महीने का समय भी लग गया. झुमका करीब दो सौ मीटर दूर से लोगों को नजर आएगा. बीडीए से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में लगभग 20 लाख रुपए का खर्चा आया है. बरेली के लोग इस झुमका तिराहे से बेहद खुश हैं. हालांकि कुछ लोगों का ये भी मानना है कि शहर के बीचो बीच इस तिराहे को बनाना चाहिए.