सुप्रीम कोर्ट की फटकार के करीब 6 घंटे बाद सरकार ने टेलीकॉम कंपनियों को आज यानी शुक्रवार रात 11:59 बजे तक बकाया रकम जमा कराने के निर्देश दिए हैं. भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया और अन्य कंपनियों को सरकार द्वारा तय मियाद से पहले रकम चुकानी होगी. सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ही टेलीकॉम कंपनियों से रिकवरी स्थगित करने पर दूरसंचार विभाग को फटकार लगाई थी जिसके बाद सरकार ने ये कदम उठाया है.
सरकार को लगी थी फटकार
मालूम हो कि 1.47 लाख करोड़ रुपए के एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू (एजीआर) के मामले में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ज्यादातर कंपनियों ने रकम जमा नहीं करवाई थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन कंपनियों से पूछा था कि क्यों ना आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाए? क्या इस देश में कोई कानून नहीं बचा? इस देश में रहने से बेहतर है कि इसे छोड़कर चले जाना चाहिए.’ सुप्रीम कोर्ट ने 24 अक्टूबर को आदेश दिया था कि टेलीकॉम कंपनियां 23 जनवरी तक बकाया राशि जमा करें. कंपनियों ने फैसले पर फिर से विचार करने की अपील की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया था. इसके बाद भारती एयरटेल, वोडाफोन-आइडिया और टाटा टेली ने भुगतान के लिए ज्यादा वक्त मांगते हुए नया शेड्यूल तय करने की अपील की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इसे भी खारिज कर दिया.
नाराजगी की असल वजह
दूरसंचार विभाग के राजस्व मामलों से जुड़े एक डेस्क ऑफिसर ने पिछले दिनों संवैधानिक पदों पर बैठे अन्य अफसरों को लिखी चिट्ठी में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के अगले आदेश तक टेलीकॉम कंपनियों पर कोई कार्रवाई न की जाए, भले ही वे एजीआर मामले में बकाया भुगतान नहीं करें. सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद दूरसंचार विभाग ने यह आदेश वापस ले लिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब हम पहले ही टेलीकॉम कंपनियों को भुगतान का आदेश दे चुके हैं, तब कोई डेस्क ऑफिसर ऐसा आदेश कैसे जारी कर सकता है? हमें नहीं पता कि कौन माहौल बिगाड़ रहा है? क्या देश में कोई कानून ही नहीं बचा है? कोई अधिकारी कोर्ट के आदेश के खिलाफ जुर्रत कर सकता है तो सुप्रीम कोर्ट को बंद कर देना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी दी थी कि अगर इस अफसर ने एक घंटे के अंदर आदेश वापस नहीं लिया तो उसे जेल भेजा जा सकता है.
एमडी को 17 मार्च को पेशी के आदेश
जिन टेलीकॉम कंपनियों पर एडजस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू के आधार पर स्पेक्ट्रम और लाइसेंस फीस के 1.47 लाख करोड़ रुपए बकाया हैं, उनमें से सिर्फ रिलायंस जियो ने करीब 195 करोड़ रुपए की राशि का भुगतान किया है. इस पर जस्टिस अरुण मिश्रा की बेंच ने भारती एयरटेल, वोडाफोन, एमटीएनएल, बीएसएनएल, रिलायंस कम्युनिकेशंस, टाटा टेलीकम्युनिकेशंस और अन्य के मैनेजिंग डायरेक्टर्स से 17 मार्च को पेश होने को कहा है. टेलीकॉम कंपनियों और सरकार के बीच पिछले 14 साल से एजीआर को लेकर विवाद था.
किस पर कितना बकाया
बकाये की जहां तक बात है तो वोडाफोन-आइडिया पर सबसे ज्यादा बकाया है. इस कंपनी पर 53,038 करोड़ रुपये बकाया है. वहीं भारती एयरटेल पर 35,586 करोड़ और टाटा टेली 13,823 करोड़ रुपये का बकाया है. वहीं रिलायंस जियो, रिलायंस कम्युनिकेशंस, बीएसएनएल, एमटीएनएल और अन्य पर बकाया 45,000 करोड़ है. इस तरह से सभी कंपनियों पर ब्याज और पेनाल्टी मिलाकर कुल 1,47000 करोड़ रुपये का बकाया है.