जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री रह चुके उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के बाद अब पूर्व IAS और जम्मू-कश्मीर पीपल्स मूवमेंट (JKPM) के चीफ शाह फैसल पर भी पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) लगा दिया गया है. कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद शाह फैसल को हिरासत में ले लिया गया था. पीएसए के तहत बिना ट्राइल किए कम से कम तीन महीने तक हिरासत में रखा जा सकता है.
इसके पहले सरकार जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती पर पीएसए के तहत मामला दर्ज कर चुकी है. इनके अलावा भी अली मोहम्मद सागर, सरताज मदनी, हिलाल लोन, नईम अख्तर पर भी पीएसए लगाया गया है. उमर अब्दुला की बहन सारा ने अपने भाई को पीएसएफ तहत गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
PSA के तहत अगर सरकार को शक है कि आप पब्लिक सेफ्टी के लिए खतरा हैं या फिर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा हैं तो आपने भले ही कोई गलत काम नहीं किया हो, सरकार आपको हिरासत में ले सकती है. शेख अब्दुल्ला सरकार में लाए गए PSA को 8 अप्रैल, 1978 को जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल की मंजूरी मिली थी. PSA को लकड़ी तस्करों पर लगाम कसने के लिए लाया गया था. इस कानून के तहत हिरासत में लिए गए व्यक्ति का मामला सरकार को एडवाइजरी बोर्ड के सामने भेजना होता है. बोर्ड को अपना सुझाव आठ हफ्तों में देना होता है. अगर बोर्ड हिरासत को सही ठहराता है, तो सरकार शख्स को बिना ट्रायल के 2 साल तक हिरासत में रख सकती है.