सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को शाहीन बाग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सख्त टिप्पणी की. कोर्ट ने कहा कि विरोध प्रदर्शन की वजह कितनी भी वाजिब क्यों न हो, सड़क को ऐसे ब्लॉक नहीं कर सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि हम ये नहीं रहे कि विरोध प्रदर्शन का अधिकार नहीं है लेकिन सवाल ये कि विरोध प्रदर्शन कहां किया जाए. आज प्रदर्शन यहां हो रहा है, कल कहीं और होगा. अगर ऐसे जारी रहा तो शहर के विभिन्न इलाके ब्लॉक हो जायेंगे. कोर्ट ने साफ कहा कि लोगों को प्रदर्शन करने का अधिकार है लेकिन रास्ता रोकने का नहीं रोक सकता.
इस पर सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि संस्थान (कोर्ट) उनके सामने झुक रहा है. इस पर कोर्ट ने कहा कि हमने अपनी इच्छा को जाहिर कर दिया है. उम्मीद है कि चीजें बदलेंगी, लेकिन अगर ऐसा न हुआ तो ऑथोरिटी अपने हिसाब से एक्शन लेने के लिए स्वतंत्र होगी.
शाहीन बाग का रास्ता खुलनावे को लेकर दायर की गई याचिका में याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने प्रदर्शन को लेकर दिशा निर्देश बनाये थे. उस आदेश का पालन नहीं हो रहा. सड़क जाम की हुई है. इस पर कोर्ट ने कहा कि हमें हमें दिशानिर्देशों की जानकारी है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह का प्रदर्शन गलत उदाहरण पेश करेगा. ऐसे तो कल कोई दूसरा रास्ता ब्लॉक हो जाएगा.
कोर्ट ने कहा कि सभी को प्रदर्शन का अधिकार है लेकिन उसकी कोई सीमा होनी चाहिए। इसी को लेकर हमारी चिंता है. यह मामला लोगों की परेशानियों से जुड़ा है. सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि रास्ते को पूरी तरह से ब्लॉक किया गया है. बच्चों और महिलाओं को प्रदर्शनकारी ढाल बना रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने उनसे मीटिंग भी की. समझाने की कोशिश कि वो पूरे शहर को ये बंधक नही बना सकते. सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को मामले में हलफनामा पेश करने को कहा.