नई दिल्ली : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और उनके बेटे आदित्य ठाकेरे ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नई दिल्ली में मुलाकात की. माना जा रहा है कि वो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, गृह मंत्री अमित शाह और वरिष्ठ बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी से भी मुलाकात करेंगे. ये बैठकें ऐसे वक्त में हो रही हैं जब उद्धव ठाकरे और वैचारिक रूप से विपरीत उनके गठबंधन सहयोगियों राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस के बीच नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) और नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) मतभेद सामने आए हैं. शुक्रवार को प्रधानमंत्री कार्यलय द्वारा इस मुलाकात की फोटो ट्विटर पर साझा की गई.
पीएम मोदी से मुलाकात के बाद उद्धव ठाकरे ने कहा, “प्रधानमंत्री जी से CAA, NRC, NPR पर बात हुई. मैंने अपनी भूमिका स्पष्ट की है. CAA को लेकर किसी को डरने की जरूरत नहीं है. ये किसी को देश से निकालने के लिए कानून नहीं है.”
इस बैठक के बारे में शिवसेना नेता संजय राउत ने पहले ही मराठी में ट्वीट कर जानकारी दी थी. उन्होंने लिखा था ‘महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे दिल्ली आ रहे हैं. वह शाम 4 बजे दिल्ली पहुंचेंगे. उद्धव का प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का कार्यक्रम है.’ पिछले साल नवंबर में मुख्यमंत्री बनने के बाद यह उद्धव ठाकरे की पहली दिल्ली यात्रा है जिसमें उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की. शिवसेना ने इसे शिष्टाचार भेंट बताया है.
महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी और कांग्रेस की गठबंधन की सरकार बनने के कुछ महीने बाद ही तीनों सहयोगियों के बीच मतभेद सामने आने शुरू हो गए थे. CAA और NPR को लेकर एनसीपी और कांग्रेस के रुख के उलट मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने इस हफ्ते की शुरुआत में इन दोनों के प्रति अपना समर्थन जताया था. उद्धव ने कहा, ‘सीएए और एनआरसी व एनपीआर अलग अलग हैं. अगर सीएए लागू होता है तो उससे किसी को डरने की जरूरत नहीं है. फिलहाल एनआरसी नहीं है और यह राज्य में लागू नहीं होगा. केंद्र ने अभी तक इस पर कोई चर्चा नहीं की है.’ महाराष्ट्र में सत्ताधारी गठबंधन में मतभेद की एक और वजह है एल्गार परिषद का मामला जिसे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपा गया है. पवार ने दावा किया है कि राज्य के मंत्रियों के पुलिस से मुलाकात के बाद ही मामला ट्रंसफर किया गया.
मालूम हो कि उद्धव ठाकरे ने पिछले साल 28 नवंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उन्हें सर्वसम्मति से तीन दलों के महाविकास अघाड़ी का नेता चुना गया था. महाविकास अघाड़ी में शिवसेना, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी गठबंधन दल हैं. उद्धव ठाकरे के अगुवाई वाले दल शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से नाता तोड़ कर वैचारिक रूप से अपने धुर विरोधी दल एनसीपी और कांग्रेस से गठबंधन कर लिया था.