दिल्ली में हाल में हुई सांप्रदायिक हिंसा पर चिंता व्यक्त करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन ने शनिवार को कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और लोगों को धार्मिक आधार पर बांटा नहीं जा सकता. उन्होंने एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह पता लगाया जाना चाहिए कि क्या पुलिस अक्षम है या हिंसा से निपटने के लिए सरकार की तरफ से प्रयासों में कमी थी. प्रतीचि ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में सेन ने कहा, ‘मैं बहुत चिंतित हूं कि यह जहां हुई वह देश की राजधानी है और केंद्र द्वारा शासित है.
अगर अल्पसंख्यकों को वहां प्रताड़ित किया जाता है और पुलिस विफल या अपना कर्तव्य निभाने में नाकाम रहती है तो यह गंभीर चिंता का विषय है. उन्होंने कहा, ‘ऐसी खबर है कि जो लोग मारे गए या जिन्हें प्रताड़ित किया गया उनमें अधिकतर मुसलमान हैं. भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, हम हिंदू और मुसलमानों को बांट नहीं सकते. एक भारतीय नागरिक के तौर पर मैं चिंता होने के अलावा कुछ और नहीं कर सकता.’
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा साम्प्रदायिक हिंसा के पैटर्न पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि जब ऐसी वारदात होती है तो पुरुषों के मुकाबले महिलाएं ज्यादा पीड़ित क्यों होती हैं, इस पर बात करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि समाज में महिलाओं के पास ताकत न होने की वजह से ऐसी स्थिति पैदा हुई है.
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि पूरे मामले का विश्लेषण किए बिना वे किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि जस्टिस एस मुरलीधर का दिल्ली हाई कोर्ट से पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ट्रांसफर किये जाने पर सवाल उठना स्वाभाविक है.