हितेश चावड़ा, गांधीनगर: प्रधानमंत्री मोदी ने आज अपने वादे के मुताबिक महिलाओं को अपना सोशल मीडिया अकाउंट सौंप दिया है. उन्होंने लिखा, ‘अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई. हम अपनी नारी शक्ति की भावना और उपलब्धियों को सलाम करते हैं. जैसा कि मैंन कुछ दिनों पहले कहा था मैं अफने अकाउंट को कुछ समय के लिए छोड़ रहा हूं. पूरे दिन सात महिलाएं अपनी जीवन यात्राएं साझा करेंगी और मेरे सोशल मीडिया अकाउंट के माध्यम से संभवत: आपसे बातचीत करेंगी. भारत के सभी हिस्सों में उत्कृष्ट महिलाएं मौजूद हैं. इन महिलाओं ने विभिन्न क्षेत्रों में बाहतरीन काम किया है. उनका संघर्ष और आकांक्षाएं लाखों लोगों को प्रेरित करती हैं. आइये हम इन महिलाओं की उपलब्धियों का जश्न मनाएं और उनसे सीखें. पीएम मोदी जैसे देश के कई नेता आज के दिन को खास मान रहे हैं लेकिन भारतीय राजनीति में आज भी महिलाओं को हासिये पर रखा जा रहा है. गुजरात जिसे विकास का मॉडल बताया जा रहा है. पीएम मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री के रुप में एक लंबी पारी खेल चुके हैं लेकिन जब यहां की सियासत पर नजर डालते हैं तो महिला सशक्तिकरण के सारे दावे झूठे साबित होने वाले हैं. गुजरात की रुपाणी सरकार में 23 मंत्रियों में सिर्फ एक महिला को मंत्री बनाया गया है. वह भी राज्य कक्षा का ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या ऐसे महिलाएं सशक्त बनेंगी?
गुजरात सरकार अक्सर महिलाओं को आगे लाने और उनकी प्रतिभा को निखारने के लिए बड़े-बड़े दावे करती है. फिर सवाल ये उठता है कि गुजरात सरकार महिला विधायकों में मौजूद प्रतिभा और योग्यता को जानने के बावजूद महिलाओं को मंत्री नहीं बनाती? गुजरात सरकार में फिलहाल मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, 10 कैबिनेट मंत्री और 11 राज्य स्तर के मंत्री हैं, रुपाणी कैबिनेट में एक भी महिला को शामिल नहीं किया गया है. लेकिन राज्य स्तर पर केवल एक मंत्री विभावरी बेन दवे हैं. गुजरात विधानसभा में महिला विधायकों की संख्या के बारे में बात करें तो 182 विधायकों वाली गुजरात विधानसभा में सिर्फ 13 महिला विधायक हैं. जिसमें संतोकबेन आरेठीया (रापर), डॉ. निमाबेन आचार्य (भुज), सुमनबेन चौहान (कलोल), विभावरीबेन दवे (भावनगर पूर्व), गीताबा जडेजा (गोंडल), मालतीबेन महेश्वरी (गांधीधाम), सीमाबेन मोहिले (अकोटा), झंखनाबेन पटेल (चोर्यासी)डॉक्टर आशाबेन पटेल (ऊँजा), संगीताबेन पाटिल (लिम्बायत), गेनीबेन ठाकोर (वाव), और मनीषाबेन वकील विधायक हैं. मनीषाबेन वकील और संगीताबेन पाटिल 2 टर्म से चुनाव जीता है, भुज विधायक डॉ. निमाबेन आचार्य चार टर्म से जीत रही है. और एक डॉक्टर के रूप में सेवा दे रही हैं लेकिन उन्हें मंत्री क्यों नहीं बनाया गया? गुजरात सरकार अगर अपने सियासी फायदे के लिए कांग्रेस से बगावत करने वाले विधायकों को कुछ घंटे में मंत्री का शपथ दिलवाने में ताकत रखती है तो फिर ऐसी महिलाओं को मंत्री की जिम्मेदारी क्यों नहीं दे रही है तो शिक्षित हैं और अपनी पूरी जिंदगी पार्टी के लिए कुर्बान कर चुकी हैं.
गुजरात सरकार सिर्फ योजना, पोस्टर और कार्यक्रमों में महिला सशक्तिकरण की बात करती हैं. क्यों सरकार कैबिनेट मंत्रिमंडल में जगह नहीं दे रही. अगर आनंदीबेन पटेल राज्य में नरेंद्र भाई मोदी के बाद मुख्यमंत्री बन सकती हैं, तो विजय रूपाणा सरकार में किसी महिला विधायक को कैबिनेट मंत्रिमंडल क्यों शामिल नहीं किया जा रहा?
26 मार्च को होने वाले राज्यसभा चुनावों में भी यह स्थिति देखी जा सकती है, गुजरात के विधानसभा में विधायकों के संख्या के हिसाब से खाली पड़ी 4 राज्यसभा सीटों में 2 भाजपा और 2 कांग्रेस के खाते में जाने वाली है. इन सीटों पर क्या नये चेहरे को जिम्मेदारी दी जाएगी या फिर इन लोगों को दोहराया जाएगा. ये अपने आप में बड़ा सवाल है लेकिन उससे बड़ा सवाल ये है कि गुजरात की दोनों पार्टियां महिला सशक्तिकरण की बड़ी-बड़ी बात कर रही हैं लेकिन किसी महिला को राज्यसभा में भेजने का प्लान बनाया जा रहा है या नहीं.
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