भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के महासचिव सीताराम येचुरी तीसरी बार राज्यसभा नहीं जा पाएंगे. येचुरी के राज्यसभा जाने के रास्ते में उनकी अपनी पार्टी और उसके नियम ही रोड़ा बन गए हैं. बंगाल की सीपीएम यूनिट के साथ-साथ कांग्रेस की मदद से सीताराम येचुरी को राज्यसभा भेजने के प्रस्ताव को पार्टी की शीर्ष ईकाई (पोलित ब्यूरो) ने खारिज कर दिया है. सीताराम येचुरी 2005 से 2017 के बीच दो बार राज्यसभा सदस्य रह चुके हैं.
मालूम हो कि पश्चिम बंगाल की पांच राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होने हैं. पश्चिम बंगाल में विधायकों के आंकड़े के लिहाज से चार राज्यसभा सीटें टीएमसी के हिस्से में जाना तय है और बाकी एक सीट अन्य के खाते में जा सकती है. ऐसे में एक राज्यसभा सीट पर कांग्रेस और सीपीआईएम मिलकर कब्जा जमा सकती हैं. बंगाल में सीपीएम ही नहीं पूरे वामपंथी दलों को भी मिलाने के बाद इतने विधायक नहीं हो रहे हैं कि वे अपने दम पर सीताराम येचुरी को राज्यसभा भेज सकें.
बंगाल की लेफ्ट ईकाई ने येचुरी को कांग्रेस के सहयोग से उच्च सदन भेजने का प्रस्ताव भेजा था. सूत्रों की मानें तो छह फरवरी को दिल्ली के सीपीआईएम मुख्यालय में हुई बैठक में पोलित ब्यूरो के सदस्यों ने पार्टी के नियमों का हवाला देते हुए सीताराम येचुरी को तीसरी बार राज्यसभा भेजने के प्रस्ताव को खारिज कर दिया. हालांकि पार्टी की ओर से इसके लिए पुराने नियम का हवाला दिया जा रहा है कि कोई भी सीपीआईएम महासचिव पद पर रहते हुए चुनाव नहीं लड़ सकता है.
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