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सौराष्ट्र ने पहली बार जीता रणजी ट्रॉफी का खिताब, फाइनल में बंगाल को पछाड़ा

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सौराष्ट्र क्रिकेट टीम ने पहली बार रणजी ट्रॉफी का खिताब अपने नाम कर लिया है. फाइनल में सौराष्ट्र ने बंगाल के खिलाफ पहली पारी में बढ़त हासिल की जिसकी वजह से उसका विजेता बनना तय हुआ. सौराष्ट्र क्रिकेट एसोशिएसन ग्राउंड पर मेजबान टीम ने पहली पारी में 425 रन बनाए थे जिसके जबाव में बंगाल की पहली पारी 381 रनों पर सिमट गई. पहली पारी के आधार पर सौराष्ट्र को 44 रनों की बढ़त हासिल की. इसके बाद सौराष्ट्र ने अपनी दूसरी पारी में चार विकेट पर 105 रन बनाए थे तब दोनों टीमें मैच समाप्त करने के लिए तैयार हो गईं.

खेल के आखिरी दिन बंगाल अपनी चौथे दिन के रन स्कोर छह विकेट पर 354 रनों से आगे खेलना शुरू किया लेकिन बंगाल की पूरी टीम 161 ओवर में 381 रनों पर सिमट गई. घरेलू क्रिकेट के नियमों के मुताबिक अगर मैच का नतीजा नहीं निकलता है तो पहली पारी में बढ़त हासिल करने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता है. बंगाल की ओर से सुदीप चैटर्जी ने सर्वाधिक 81 रन बनाए. अर्नव नंदी ने 40 रनों की नाबाद पारी खेलकर उम्मीद जगाए रखी लेकिन दूसरे छोर से उन्हें साथ नहीं मिला. सौराष्ट्र के लिए धर्मेंद्र सिंह जडेजा ने तीन जबकि जयदेव उनादकट और प्रेरक मांकड ने दो-दो सफलताएं हासिल कीं.

काम आई अर्पित और पुजारा की पारी

सौराष्ट्र ने पहली पारी में 425 रनों का स्कोर बनाया था. सौराष्ट्र को इस स्कोर तक ले जाने में उसके बल्लेबाजों की अहम भूमिका रही. अर्पित वासावाडा ने 106 रनों की शतकीय पारी खेली तो वहीं टीम इंडिया के टेस्ट बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने भी छठे क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए जरूरी 66 रन बनाए. इसके अलावा अवी बारोत और विश्वराज जडेजा ने भी अर्धशतक लगाए.

सौराष्ट्र रणजी ट्रॉफी में 1950-51 से ले रहा भाग

सौराष्ट्र ने मौजूदा रणजी सत्र में शानदार खेल दिखाया जिसकी वजह से घरेलू क्रिकेट में उसने अब तक की सबसे बड़ी कामयाबी हासिल की. सौराष्ट्र 1950-51 से रणजी ट्रॉफी में हिस्सा ले रहा है लेकिन अब तक उसे खिताब नसीब नहीं हुआ था. हालांकि सेमीफाइनल में गुजराता को हराने के बाद फाइनल में बंगाल को पछाड़कर उसने वर्षों पुरानी कसक मिटा ली.

उनादकट का जलवा

सौराष्ट्र की जीत में उसके बल्लेबाजों के अलावा गेंदबाजों की भी अहम भूमिका रही. खासतौर से जयदेव उनादकट ने शानदार गेंदबाजी की जिसकी बदौलत उनकी टीम खिताब जीतने में सफल रही. उनादकट ने 16 पारियों में 67 विकेट हासिल किए. इस दौरान उन्होंने सात मौकों पर पारी में पांच या उससे ज्यादा विकेट हासिल किए.

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