बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर धीरे-धीरे सरगर्मियां तेज हो रही हैं. चुनाव को लेकर राज्य की सभी राजनीतिक पार्टियां अब अपने संगठन को मजबूत करने में जुटी है. सभी राजनीतिक दल सत्ता की कुर्सी पर नजर गढ़ाए बैठे हैं लेकिन समाजवादी पार्टी (सपा) ने कुर्सी की लड़ाई से दूर रहने का फैसला किया है. सपा ने बिहार के विधानसभा चुनाव में नहीं उतरने का ऐलान किया है.
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में यह घोषणा की कि उनकी पार्टी बिहार का आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बीजेपी के खिलाफ लड़ने वालों और जीतने वालों सपा अपना समर्थन देगी. अखिलेश यादव ने उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव में 403 में से 351 सीटें जीतने का भी लक्ष्य रखा.
सपा प्रमुख अखिलेश ने कहा कि हम सब मिलकर वर्ष 2022 में 351 सीटें जीतेंगे. उन्होंने कहा, ‘दिल्ली जाते वक्त विमान में एक शख्स ने उनका हाथ देखकर बताया कि मेहनत करें, इस बार आप 350 सीटें जीतकर सरकार बनाएंगे. मैंने तय किया है कि हम 350 से एक सीट ज्यादा यानि 351 सीटें जीतेंगे. अगर भाजपा झूठ फैला कर 300 से ज्यादा सीटें जीत सकती है तो ईमानदारी से मेहनत करके हम 351 सीटें जीत सकते हैं. हम इसे जरूर हासिल करेंगे क्योंकि 22 में चलेगी बाइसिकल.’
हालांकि अखिलेश के बिहार विधानसभा में चुनाव नहीं लड़ने के फैसले से राज्य का सियासी माहौल एक बार फिर गरमा गया है. राजनीतिक पंडित नए-नए समीकरण बनाने में लग गए हैं. बिहार राज्य में विधानसभा के चुनाव के इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने की संभावना है. सत्ताधारी जनता दल (यूनाइटेड) अपने संगठन की कमियों को दूर करने में जुटी है तो भाजपा भी पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के बिहार दौरे के बाद से ही संगठन को मजबूत करने के साथ चुनावी दंगल की तैयारियों में जोरों से लगी है.
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