मध्य प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच सूबे के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने राज्यपाल लालजी टंडन को अपना इस्तीफा सौंप दिया है. शुक्रवार को भोपाल में प्रेस कांफ्रेस कर इस्तीफे का ऐलान करने के बाद सीएम कमलनाथ सीधे राजभवन पहुंचे और राज्यपाल लालजी टंडन को अपना इस्तीफा सौंपा.
इससे पहले कमलनाथ ने प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि 11 दिसंबर 2018 को परिणाम आया. कांग्रेस को सबसे अधिक सीटें मिली. 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री की शपथ ली. 25 दिसंबर को मंत्रिमडल की शपथ ली. 15 महीनों में मेरा प्रयास रहा कि प्रदेश की तस्वीर बदलें. राजनीतिक जीवन में हमेशा राज्य की हरसंभव मदद की. जनता ने हमें पांच साल का मौका दिया था. मध्य प्रदेश की तुलना छोटे राज्यों से नहीं होती. बीजेपी तो 15 साल मिले थे मुझे 15 महीने मिले. इनमें ढाई महीने लोकसभा चुनाव और आचार संहिता में चले गए.
कमलनाथ ने कहा कि बीजेपी नेता कहते थे कि यह 15 दिन की सरकार है, पहले दिन से बीजेपी ने षड़यंत्र शुरू किया. 22 विधायकों को बंधक बनाने का काम किया. करोड़ों रुपये खर्च कर प्रलोभन का खेल खेला गया. लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की जिसकी सच्चाई जल्द सामने आएगी. विधानसभा में तीन पर बहुमत साबित किया. बीजेपी से यह बर्दाश्त नहीं हुआ. ये विश्वासघात मध्यप्रदेश की जनता के साथ हुआ है. जनता इन्हें कभी माफ नहीं करेगी.
उधर जानकारी के मुताबिक शुक्रवार शाम बीजेपी विधायक दल की बैठक होगी जिसमें विधायक दल का नेता चुना जाएगा. बताया जा रहा है कि इसके बाद बीजेपी सरकार बनाने का दावा पेश करेगी. उधर फ्लोर टेस्ट से पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ के इस्तीफे का ऐलान करने के बाद बीजेपी नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने ट्वीट कर कहा कि मध्य प्रदेश में आज जनता की जीत हुई है. मेरा सदैव ये मानना रहा है कि राजनीति जनसेवा का माध्यम होना चाहिए, लेकिन प्रदेश सरकार इस रास्ते से भटक गई थी. सच्चाई की फिर विजय हुई है. सत्यमेवजयते. सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस से इस्तीफा दिया था. उनके साथ ही कांग्रेस के 22 विधायकों ने भी इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद से कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे थे.
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