इंतजार थोड़ा लंबा रहा लेकिन आखिरकार निर्भया के गुनहगारों को फांसी पर चढ़ने के साथ ही उसे इंसाफ मिल गया. निर्भया की मां आशा देवी की सात साल की लंबी लड़ाई के बाद ही निर्भया को इंसाफ मिल पाया. निर्भया की मां आशाद देवी लगातार कोर्ट का चक्कर काटती रहीं. कानून की बारीकियों का गुनहगार फायदा उठाते रहे पर निर्भया की मां को उम्मीद थी कि एक न एक दिन वह अपनी बेटी को इंसाफ दिलवाकर दम लेंगी.
निर्भया की मां के संघर्ष से हर मां को एक प्रेरणा मिली है. निर्भया की मां के संघर्ष को देखते हुए उन्हें ‘भारत गौरव अवॉर्ड’ देने की घोषणा की गई है. यह अवॉर्ड संस्कृति संस्था की ओर से दिया जाएगा. संस्कृति संस्था के अध्यक्ष पं. सुरेश मिश्रा के अनुसार, निर्भया की मां ने न केवल अपनी बेटी के लिए बल्कि देश की सभी बेटियों के लिए न्याय मांगा और गुनहगारों को फांसी पर लटकने तक संघर्ष किया. ऐसा कर निर्भया की मां ने इतिहास रचा है. इसलिए संस्था ने उन्हें इस बार का ‘भारत गौरव अवॉर्ड’ देने का फैसला किया है.
पं. सुरेश मिश्रा ने कहा, यह समारोह ब्रिटिश पार्लियामेंट और न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र में देश-विदेश में भारत का नाम रोशन करने वाली प्रतिभाओं को ‘भारत गौरव’ के अलंकरण से नवाजा जाता है. इससे पहले आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर, फिल्म स्टार मनोज कुमार, आचार्य लोकेश मुनी, फिल्म निर्माता मधुर भंडारकर, जैन मुनी पुलकसागर, नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी, सुलभ शौचालय के संस्थापक बिंदेसरी पाठक, गीतकार शैलेश लोढा, लंदन के सांसद विरेन्द्र शर्मा, राजयोगिनी दादी जानकी, मेजर ध्यानचंद, गजल गायक जगदीष सिंह, योगगुरू एच.आर. नागेन्द्र, नीरजा बहनोत जैसी हस्तियों को यह सम्मान दिया जा चुका है.
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