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गरीबों के साथ गुजरात खाद्य विभाग का क्रूर मजाक, जानवरों से बदतर दिया अनाज

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अहमदाबाद: कोरोना वायरस की रोकथाम के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन के दौरान लोगों को राहत देने के उद्देश्य से गुजरात सरकार द्वारा बुधवार से खुदरा विक्रेताओं के माध्यम से मुफ्त राशन उपलब्ध कराने का दावा किया गया था. आज सुबह से लोगों की लम्बी-लम्बी लाइन राशन की दुकानों पर देखने को मिली लेकिन जब लोग राशन लेकर घर पहुंचे और खाना बनाने की तैयारी करने लगे तब लोगों को लगा कि गुजरात सरकार ने उनके साथ मजाक किया है.

दरअसल गुजरात सरकार तालाबंदी के दौरान गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों को खाने की दिक्कत का सामना ना करना पड़े इस मकसद को लेकर गुजरात सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त 17 हजार राशन की दुकानों को मुफ्त में गरीबों में राशन बांटने की जिम्मेदारी दी थी. आज सुबह से ही अहमदाबाद के जमालपुर, बापूनगर, बेहरामपुरा, घाटलोडिया, जोधपुर जैसे कई इलाकों में लोगों की सुबह से भी भीड़ दिखाई दी. अनाज पाने के बाद लोग सरकार पर घटिया क्वालिटी की अनाज मुहैया करवाने का आरोप लगा रहे हैं.

इस सिलसिले में जानकारी देते हुए ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स फेडरेशन के वाइस-प्रेसिडेंट प्रह्लाद मोदी ने गुजरात सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अहमदाबाद जैसे शहर में नमक, दाल और अनाज को गोदामों तक अभी तक पहुंचाया ही नहीं गया है. कुछ जगहों पर दुकानदार किराने की चीजों को कम दिया जिसकी वजह से दुकानदारों के साथ झड़पें भी हुईं. स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए पहले से ही पुलिस तैनात की गई थी, जिसकी वजह से हंगामा नहीं हुआ.

गौरतलब है कि राज्य की आधी जनसंख्या को 17,000 दुकानों के माध्यम से मुफ्त राशन का वितरित किया जाना है. राज्य सरकार अंत्योदय और प्राथमिकता राशन कार्ड धारकों को मुफ्त में अनाज, चीनी और नमक उपलब्ध कराएगी. इस कदम से 65 लाख से अधिक परिवारों को लाभ मिलेगा. मुख्यमंत्री के सचिव अश्विनी कुमार ने कहा कि सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त लगभग 17 हजार उचित मूल्य की दुकानों के माध्यम से फोन के जरिये इन लाभार्थियों को सूचना दी जाएगी कि वे 25 व्यक्तियों का समूह बना कर सामग्री लेने आएं ताकि भीड़ से बचा जा सके.

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