Gujarat Exclusive > तालाबंदी से दिहाड़ी मजदूरों की दर्दनाक हालत, खाने का संकट गांव जाना ही एकमात्र रास्ता

तालाबंदी से दिहाड़ी मजदूरों की दर्दनाक हालत, खाने का संकट गांव जाना ही एकमात्र रास्ता

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कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते देशभर में लागू लॉकडाउन के चलते प्रवासी मजदूरों को सबसे ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. खाने और रहने की व्यवस्था के अभाव में मजदूरों की अपने गांवों की तरफ पलायन करने की कई तस्वीरें सामने आईं हैं. हजारों की संख्या में मजदूर महानगरों से निकलकर अपने गांवों की ओर जाते नजर आए. अनिश्चित रोजगार और गरीबी के चलते इन मजूदरों के पास पलायन के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा है.

पश्चिम बंगाल से बिहार लौट रहे मजदूरों की कहनी कुछ ऐसी ही है. उनका कहना है कि उनके पास ना खाने के लिए राशन है ना पीने के लिए पानी है ऐसे में वह इस घड़ी में अपने घरों की ओर लौटने के लिए मजबूर हैं. पश्चिम बंगाल में मजदूरी करने वाले ये लोग रेलवे ट्रैक से पौने पांच सौ किलोमीटर की दूरी तयकर 40 की संख्या में अपने घरों की ओर बढ़ रहे हैं. ये लोग गढ़बेटा और हावड़ा से बिहार के मुंगेर जिले के लिए निकले हैं. इनका कहना है कि इनकी रोजी रोटी छिन गई है.

उनका कहना है कि इस हालात में उनके पास खाने और रहने का इंतेजाम नहीं है ऐसे में वह जाने के लिए विवश हैं. लॉकडाउन के बीच यातायात के साधन भी बंद हैं और ऐसे में लोगों पैदल ही जाने के लिए विवश होना पड़ा है.

गौरतलब है कि देश की असंगठित अर्थव्यवस्था में काम करने वाले 40 करोड़ लोग गरीबी के दलदल में धंस सकते हैं. संयुक्त राष्ट्र ने कोरोना वायरस के संकट के चलते देश में यह स्थिति पैदा होने की आशंका जताई है. संयुक्त राष्ट्र की संस्था अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक साल 2020 की दूसरी तिमाही में 19 करोड़ लोगों की फुल टाइम नौकरियां वैश्विक तौर पर जा सकती हैं.

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