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कोरोना रिपोर्ट 14: आर्थिक संकट से परेशान बंगाली कारीगर, भूखे पेट सोने को मजबूर 1.50 लाख मजदूर

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दीपक मसला, अहमदाबाद: देश में इन दिनों तालाबंदी पार्ट-2 का आगाज हो गया है. 21 दिनों के तालाबंदी की वजह से सोने और चांदी के गहनों को आकार देने वाले बंगाली कारीगरों की हालत ना घर की है ना घाट की. विवाह का सीजन शुरू होने से पहले तालाबंदी की वजह से सोना और चांदी बाजार में भयंकर आर्थिक मंदी का दौर चल रहा है. ऐसे में सोना-चांदी के गहनों को आकार देने वाले कारीगर शादी के मौसम में पैसा कमाने की उम्मीद में बैठे थे लेकिन इसी बीच कोरोना संकट आ गया. जिसकी वजह से 1 लाख बंगाली कारीगरों की हालत खस्ता हो गई है. इन दिनों ने बंगाली कारीगरों को एसोसिएशन भोजन मुहैया करवा रही है. लेकिन तालाबंदी का दूसरा चरण शुरू होने की वजह से एसोसिएशन भी आर्थिक संकट के चपेट में आ गई है.

आभूषण बाजार में बंगाली कारीगरों की मांग काफी ज्यादा होती है. ये कारीगर न्यूनतम श्रम के साथ गहने के निर्माण में विशेषज्ञ होते हैं. हालांकि पिछले कुछ वर्षों से सोने की कीमत बढ़ाने की वजह से लोगों ने सोना खरीदना बंद कर दिया है. जिसकी वजह बाजार में आए मंदी ने मार इन कारीगरों को पहले से ही झेलनी पड़ रही थी. इस बीच सरकार ने कोरोना महामारी पर कंट्रोल पाने के लिए तालाबंदी को लागू कर दिया. समस्त बंगाली समाज एसोसिएशन के अध्यक्ष रऊफ बंगाली ने इस सिलसिले में कहा कि अहमदाबाद, वडोदरा, सूरत, राजकोट, भावनगर, जामनगर सहित गुजरात के छोटे-मोटे शहरों में 1.50 लाख बंगाली कारीगर रहते हैं. ये लोग घर जाने के लिए उत्सुक हैं. लेकिन उनके पास पैसे नहीं हैं. यदि वे अपने घर चले जाते हैं तो वहां भी उनको आर्थिक तंगी से दो-चार होना पड़ेगा. इस मुश्किल वक्त में बंगाली समाज के कारीगरों को अभी तक राज्य सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिली है.

ज्वैलर्स एसोसिएशन ने स्थानीय कारीगरों की मदद की है लेकिन उन्होंने पश्चिम बंगाल के किसी भी कारीगर की मदद नहीं की. बंगाली कारीगर एसोसिएशन सभी के लिए भोजन उपलब्ध करवा रहा है. लेकिन तालेबंदी की मियाद बढ़ने की वजह से अब हमारा एसोसिएशन भी आर्थिक तंगी से दो-चार होने लगा है. जिसकी वजह से अब हमें कई सेवाभावी संगठनों से मदद की मांग करनी पड़ रही है. बंगाली कारीगर एसोसिएशन के मंत्री विमल ताऊ ने कहा, “कारीगरों की हालत बहुत खराब है. आर्थिक कठिनाई के कारण कारीगर भूखे रहने की स्थिति में आ गए हैं.

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