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कोरोना को मात देने के लिए चुकानी पड़ेगी कीमत, 2022 तक बनाए रखनी होगी सोशल डिस्टेंसिंग: हार्वर्ड रिसर्च

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कोरोना वायरस ट्रांसमिशन पर साइंस जर्नल में बुधवार को छपी एक रिपोर्ट आज सभी राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय अखबारों की हेडलाइन बन गई है. रिपोर्ट के मुताबिक मौजूदा परिस्थितियों में दुनिया भर में लोगों को 2022 तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना पड़ सकता है. ये रिपोर्ट हार्वर्ड टी.एच चान स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ की एक रिसर्च टीम की स्टडी पर आधारित है.

हालांकि रिपोर्ट में ये भी लिखा गया है कि ‘बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं, जैसे अधिक बेड, वेंटिलेटर, स्वास्थ्य कर्मियों की मौजूदगी के चलते दुनिया वायरस से जल्दी उभर पाएगी और उतना ही कम समय हमें अपने-अपने घरों में बंद रहना होगा.’

शोधकर्ताओं ने सिंगापोर और दक्षिण कोरिया का उदाहरण देते हुए लिखा, ‘सोशल डिस्टेंसिंग वायरस से लड़ने का कारगर उपाय है. इससे हेल्थ केयर सिस्टम पर कम प्रभाव पड़ता है और संक्रमित व्यक्ति किन लोगों के संपर्क में आया ये पता लगाना आसान होता है. ऐसे में क्वारंटाइन भी बेहतर तरीके से संभव होता है.’

वहीं कई विशेज्ञषों ने जोर देकर कहा कि स्टडी में कही गई बातें अनुमान पर आधारित हैं, ‘हमें अब भी वायरस के बार में सब कुछ नहीं पता है.’स्टडी में सोशल डिस्टेंसिंग का आर्थिक, सामाजिक और शैक्षणिक गतिविधियों पर होने वाले प्रभावों को भी रेखांकित किया गया है. स्टडी के मुताबिक पूरी तरह खत्म होने के बाद भी SARS-CoV-2 पर निगरानी बनाए रखनी चाहिए क्योंकि 2024 तक वायरस के दोबारा लौटने की संभावना है. स्टडी के अनुसार कोविड 19 हर सर्दियों में आ सकता है.

वहीं डब्ल्यूएचओ ने चेतावनी दी है कि संक्रमण ‘निश्चित रूप से’ अभी तक चरम पर नहीं पहुंचा है. दुनिया भर में करीबन 20 लाख लोग कोविड-19 संक्रमण की चपेट में आए हैं. ये वायरस विश्व में 1,34,000 लोगों की जान ले चुका है. यह पिछली एक सदी में आई सबसे भयंकर महामारी है.

ये वायरस संक्रमण बीते साल दिसंबर में चीन से शुरू हुआ. पहले इसका केंद्र चीन का वुहान शहर था जिसके बाद अब अमेरिका में इसका केंद्र है जहां सबसे अधिक 30 हजार 844 लोगों की मौत हुई है.

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