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कोरोना रिपोर्ट-18: धर्मस्थल बंद होने के बाद, फूलों की खेती करने वाले किसान परेशान

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दीपक मसला, अहमदाबाद: कोरोना महामारी की वजह से जारी तालाबंदी से अनेको धर्मस्थल बंद हैं जिससे फूलों का व्यापार बिल्कुल ठप्प पड़ गया है. जिसकी वजह से फूलों की खेती करने वाले किसान और छोटे व्यापारियों को भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. किसानों, व्यापारी और कमीशन एजेंटों को लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ रहा है. सरकार ने तालाबंदी में मार्केट यार्ड खोलने की अनुमति दी है. लेकिन फूलों की बिक्री पर कोई रियायत नहीं दी गई. जिसकी वजह से फूलों के व्यवसाय से जुड़े इन लोगों को दोहरी मार झेलनी पड़ रही है.

अहमदाबाद जिला के दसक्रोई तहसील के आसपास के गांव धोणका तहसील और वडोदरा के पास स्थित करजण सहित राज्य के हजारों किसान गुलाब, मैरी गोल्ड, लिली, पारस, मोगेरा, गोटा, झीणिया और गिलोरियो जैसे फूलों की खेती करते हैं. चैत्र माह में तमाम धर्म का त्यौहार आने की वजह से फूलों की अच्छी बिक्री होती है. लेकिन तालाबंदी की वजह से फूलों की खेती और व्यापार से जुड़े लोगों को लाखों रुपया का नुकसान हो रहा है. तालांबदी की वजह से लाखों रुपये का फूल इन किसानों को फेंकना पड़ रहा है. चैत्र के महीने में, नवरात्रि, रामनवमी, हनुमान जयंती, अम्बेडकर जयंती, शब-ए बरात के साथ-साथ ईसाई धर्म के लोगों का त्यौहार मनाया जाता है. तालाबंदी की वजह से धर्मस्थाल बंद हैं. जिसकी वजह से फूलों का इस्तेमाल नहीं हो रहा और किसानों को भारी आर्थिक नुकशान का सामना करना पड़ रहा है.

अहमदाबाद फ्लावर एसोसिएशन के अध्यक्ष अहमदभाई ने कहा, “हम जैसे थोक व्यापारियों का धंधा बंद होने की वजह से भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. लेकिन किसानों और छोटे व्यापारियों की हालत काफी दयनीय हो गई है. अहमदाबाद में, लगभग 5,000 लोग फूलों की खुदरा बिक्री कर अपना और अपने परिवार का पेट भरते हैं. ढोलका के बटावाड़ा गाँव के दिलीपभाई कोली कहते हैं कि चैत्र महीने में हम प्रतिदिन 10 हजार का फूल बेचते हैं. इस साल तालाबंदी की वजह से फूलों को फेंकना पड़ रहा है. मेरे तहसील में फूलों की खेती करने वाले 1000 किसानों की हालत खराब है. करजण तालुका के कोठिया गाँव के संतोष माछी कहते हैं कि मेरे गाँव में गुलाब की खेती अधिक होती है. इसके अलावा अन्य फूलों की भी बिक्री होती है. लेकिन इस साल फूलों की बिक्री नहीं हो रही जिसकी वजह से हमें भारी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ रहा है.

दास्रोई तालुका के जूना वणजर गाँव के जीवाभाई ठाकोर ने कहा, “हम तबाह हो गए हैं, चैत्र माह के 15 दिनों में एक किसान ने लाखों रुपये कमाता था. जो आज नुकसान हो रहा है. आणंद तालुका के कुंजरव गांव के एक किसान राकेश पटेल ने कहा कि इस महीने में तमाम धर्म के त्योहार आते हैं, लेकिन तालाबंदी की वजह से धर्मस्थल बंद होने की वजह से हमारे जैसे किसानों की हालत काफी खराब हो गई है. अब फूलों को फेंकने की नौबत आ गई है.

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