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मोदी सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को दिया बड़ा झटका, अगले डेढ़ साल तक नहीं बढ़ाया जाएगा महंगाई भत्ता

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मोदी सरकार ने कोरोना वायरस की त्रासदी के बीच गुरूवार को बड़ा फैसला लेते हुए एक जुलाई 2021 तक केंद्रीय कर्मचारियों को मिलने वाले डीए पर रोक लगा दी है. वित्त मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर कहा है कि कोरोना वायरस के संकट की वजह से 1 जनवरी, 2020 के बाद से केंद्रीय कर्मचारी या पेंशनधारी को मिलने वाली डीए की राशि नहीं दी जाएगी. 1 जुलाई 2020 से जो एडिशनल डीए मिलना था, वो भी नहीं दिया जाएगा. डीए आगे कब दिया जायेगा, यह 1 जुलाई 2021 को साफ होगा. केंद्रीय कर्मचारी और केंद्र सरकार द्वारा पेंशन पाने वाले सभी कर्मचारियों पर यह आदेश लागू होगा.

सूत्रों का कहना है कि आमतौर पर इस मामले में राज्य सरकारें भी केंद्र सरकार का अनुसरण करतीं हैं. यदि राज्य सरकारें भी इस अवधि के दौरान कर्मचारियों को मिलने वाले महंगाई भत्ते और पेंशनभागियों की महंगाई राहत की तीन किस्तों का भुगतान नहीं करती हैं तो उन्हें भी 82,566 करोड़ रुपये तक की बचत होगी. कुल मिलाकर केंद्र और राज्यों के स्तर पर इससे 1.20 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी, जिससे कोविड-19 के खिलाफ जारी लड़ाई में मदद मिलेगी.

बता दें कि कोरोना वायरस से आयी त्रासदी के चलते मोदी सरकार ने कई योजनाओं में कटौती कर दी है. रक्षा बजट में भी कटौती करने की बात सामने आ रही है. वहां नए प्रोजेक्ट्स की खरीद को कुछ समय तक रोकने की बात कही गई है. राफेल विमान, एस-400 मिसाइल सिस्टम की खरीद पर इस फैसले का असर पड़ सकता है. मोदी सरकार ने इससे पहले राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, सांसद, मंत्रियों की सैलरी में 30 फीसदी तक की कटौती का ऐलान किया था. वही, सांसद निधि फंड को भी दो साल के लिए निरस्त कर दिया गया था.

कोरोना वायरस संकट के चलते देश भर में 40 दिनों का लॉकडाउन लागू किया गया है. इस कारण देश की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट देखी जा रही है. सबकुछ बंद होने से जीडीपी और रेवन्यू पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है.

सरकार के इस फैसले का असर 54 लाख सरकारी कर्मचारियों और 65 लाख पेंशनभोगियों पर पड़ेगा. केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए महंगाई भत्ते में 4 फीसदी की बढ़ोतरी को रोके जाने से सरकार हर महीने औसतन 1,000 करोड़ रुपये बचा सकती है. सरकार ने महंगाई भत्ता बढ़ाने के लिए 14,595 करोड़ रुपये के अतिरिक्त लागत निर्धारित की थी. कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में जारी लॉकडाउन से देश की अर्थव्यवस्था को काफी गहरा नुकसान पहुंचा है.

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