केंद्र द्वारा रिटायर्ड कर्मियों की डीए काटे जाने के फैसले के खिलाफ भारतीय सेना के रिटायर्ड ऑफिसर कोर्ट पहुंच गए हैं. सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में केंद्र के फैसले को गलत बताते हुए इस पर रोक लगाने की बात कही गई है. बता दें केन्द्र सरकार ने अपने एक करोड़ से अधिक कर्मचारियों और पेशेंनभोगियों को दिये जाने वाले महंगाई भत्ते और महंगाई राहत को 30 जून 2021 मौजूदा स्तर पर ही रोक दिया है. राज्य सरकारें भी केन्द्र के इस निर्णय को अपना सकती हैं. केन्द्र और राज्य दोनों के इस फैसले पर अमल से कुल मिलाकर 1.20 लाख करोड़ रुपये की बचत होगी और इससे उन्हें कोरोना वायरस महामारी का मुकाबला करने में मदद मिलेगी.
वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग द्वारा जारी कार्यालय ज्ञापन में कहा गया था, ‘कोविड- 19 से उत्पन्न संकट को देखते हुये यह निर्णय लिया गया है कि केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को एक जनवरी 2020 से मिलने वाली महंगाई भत्ते (डीए) और पेंशन भोगियों का दी जाने वाली महंगाई राहत (डीआर) की किस्त का भुगतान नहीं किया जायेगा.’
इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सरकारी कर्मचारियों के महंगाई भत्ते में वृद्धि नहीं करने के सरकार के कदम की आलोचना करते हुए कहा था कि इस वक्त केंद्रीय कर्मियों एवं सैनिकों के लिए मुश्किल पैदा करना उचित नहीं है. कांग्रेस की ओर से जारी पार्टी के सलाहकार समूह की बैठक के वीडियो के मुताबिक सिंह ने यह भी कहा कि कांग्रेस को इस वक्त इन सरकारी कर्मचारियों और सैनिकों के साथ खड़े रहना है.
सिंह हाल ही में गठित कांग्रेस सलाहकार समूह के अध्यक्ष हैं. इस समूह की बैठक एक दिन के अंतराल पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से होती है. उन्होंने कहा, ‘हमें उन लोगों के साथ खड़े होना है जिनके भत्ते काटे जा रहे हैं. मेरा मानना है कि इस वक्त सरकारी कर्मचारियों और सशस्त्र बलों के लोगों के लिए मुश्किल पैदा करने की जरूरत नहीं थी.’
राहुल गांधी ने कही थी यह बात
बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि एक तरफ तो सेंट्रेल विस्टा परियोजना पर पैसे खर्च हो रहे हैं और दूसरी तरफ मध्य वर्ग से पैसे लिए जा रहे हैं. ऐसा नहीं है कि यह पैसा गरीबों को दिया जा रहा है.
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