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गुजरात में प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा और यूपी-बिहारी की सरकारों का नकारापन! कैसे बनेगा भारत नया चीन?

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हितेश चावड़ा : प्रवासी मजदूर ! यह एक ऐसा शब्द है जो शायद कोरोना महामारी के संकट में भी सबसे ज्यादा चर्चा का विषय बना हुआ है. बीते चंद हफ्तों में इन मजदूरों ने कुदरत और बदइत्तजामी का वह रूप देखा है जिसे वे आजीवन नहीं भूल पाएंगे. फिलहाल प्रवासी मजदूरों के लिए विशेष ट्रेन की व्यवस्था की जा चुकी है जिसका श्रेय लेने के लिए केंद्र से लेकर राज्य सरकारें कतार में खड़ी हैं. लेकिन अर्थव्यवस्था के रेड जोन में खड़ा भारत भविष्य के गर्व में छुपे उस सच्चाई से वाकिफ है, जो इन मजूदरों के पलायन के बाद खड़ी होने वाली है ?

मैनुफैक्चरिंग युनिट चीन से उठकर भारत आ रहे हैं. डबल शिफ्ट में सेल्फ पीठ थपथपाना चालू है. लेकिन जिल्ले-ईलाही भूल गए हैं कि मैनुफैक्चरिंग की जान मजदूर होते हैं. वहीं यूपी-बिहार के गरीब मजदूर, जो इस वक्त गुजरात बॉर्डर पर अपने घर जाने के लिए लावारिश पड़े हैं. वहीं मजदूर, जो भूख-प्यास से बेहाल हैं और जिनको नाकारी यूपी-बिहारी की सरकारों ने पृथ्वी का “अनवान्टेड एलीमेन्ट” समझ लिया है.

सरकार भूल गई हैं कि मजदूरों का इस पूंजीवाद से यदि एक बार मोहभंग हुआ, तो चीन के अवसर भारत लाना सिर्फ मुंगेरीलाल के सपने रह जाएंगे. सरकार आपकी यह जाहिलियत दुनिया देख रही है. यदि ये मजदूर उस दुनिया को गले न लगाएंगे तो, वह इंडस्ट्री, वह डॉलर वाला व्यापारी आपसे खुद चिपकने नहीं आएगा.

गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार को प्रवासी कामगारों और छात्रों को उनके गृहनगर शर्तों के अधीन भेजने का फैसला सुनकर अपना पल्ला झाड़ लिया है. कुछ राज्य सरकारों ने केंद्र के देर आए लेकिन दुरुस्त आए फैसला का स्वागत किया है लेकिन कुछ ऐसे भी राज्य सरकारें हैं जिनके लिए ये मजदूर होते हुए भी न के बराबर हैं. गृह मंत्रालय के दिशा निर्देश के बाद गुजरात सरकार अपने व्यावसायिक एकमों पर लगाम लगाकर प्रवासी मजदूरों को उनके घर भेजने की तैयारी कर रही है लेकिन पांच राज्यों ने अभी इन लोगों को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, दिल्ली, महाराष्ट्र की सरकारों का कहना है कि अभी वे पूरी तरह से उनके लिए जगह बनाने को तैयार नहीं हो पाए हैं.

गुजरात के सूरत और अंकलेश्वर इलाके में रहने वाले प्रवासी मजदूर गृह मंत्रालय की ओर मिले छूट के बाद गुजरात सरकार की ओर की जाने वाली तमाम कागजी कार्रवाई को पूरी करने के बाद अपने घर वापस जा रहे थे लेकिन उन्हें वडोदरा में रोक दिया गया. ये प्रवासी मजदूर अपने नीजि वाहनों से गुजरात से उत्तर प्रदेश के लिए रवाना हुए थे लेकिन वडोदरा पहुंचते ही प्रावासी मजदूरों को आगे जाने से रोक दिया गया. पुलिस कहा रही कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर राज्य छोड़ने परमीशन नहीं मिली है इसलिए उन्हें रोका जा रहा है. अब इनका कोई माई-बाप नहीं है. ना कर्म राज्य है और ना जन्म राज्य अपनाने को तैयार है.

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