कोरोना से निपटने के लिए देश में तीसरी बार लॉकडाउन लागू किया गया है. इस लॉकडाउन के चलते लाखों प्रवासी मजदूर अलग-अलग राज्यों में फंसे हैं. इन प्रवासी मजूदरों की घर वापसी के लिए गृह मंत्रालय ने गाइडलाइन तो जारी कर दी है, लेकिन इनको भेजने के एवज में राज्यों से किराया लेने का मामला तूल पकड़ता जा रहा है.
रेलवे के नई गाइड लाइन के मुताबिक 19 सूत्रीय दिशानिर्देश के 11वें प्वाइंट में रेलवे ने कहा है कि ‘रेलवे द्वारा गंतव्य के लिए प्रिंट किये गये टिकट राज्यों द्वारा दी गई संख्या के आधार पर किये गये हैं जो ट्रेन की क्षमता यानी 1200 (90%) यात्री हैं. राज्य प्रशासन यात्रियों को रेलवे का टिकट सौंपेगा और उनसे किराया लेकर कुल राशि रेलवे में जमा कराएगा.
If you are stuck abroad during this COVID crisis this government will fly you back for free but if you are a migrant worker stranded in another state be prepared to cough up the cost of travel (with social distancing cost added). Where did “PM Cares” go?
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) May 3, 2020
इस मसले को लेकर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने केंद्र सरकार पर तंज कसा है. उमर ने ट्वीट करके कहा है कि अगर आप कोरोना संकट में विदेश में फंसे हुए हैं तो सरकार आपको मुफ्त वापस लेकर आएगी, लेकिन किसी राज्य में कोई प्रवासी मजदूर फंसा है तो उसे सोशल डिस्टेंसिंग कॉस्ट के साथ पूरा खर्च उठाना होगा. अगर ऐसा है तो पीएम केयर्स फंड कहां गया?
अखिलेश ने भी केंद्र पर साधा था निशाना
मजदूरों से किराए के मामले पर समाजवादी पार्टी के चीफ अखिलेश यादव ने भी रविवार को केंद्र सरकार को घेरा था. अखिलेश ने ट्वीट करके कहा था कि ट्रेन से वापस घर ले जाए जा रहे गरीब, बेबस मजदूरों से भाजपा सरकार द्वारा पैसे लिए जाने की खबर बेहद शर्मनाक है. आज साफ हो गया है कि पूंजीपतियों का अरबों माफ करने वाली भाजपा अमीरों के साथ है और गरीबों के खिलाफ.