विदेशों में फंसे भारतीयों को देश लाने की प्रक्रिया सात मई से शुरू होगी. इसकी जानकारी केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में दी. केंद्र ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि कोविड-19 महामारी की वजह से लागू लॉकडाउन और यात्रा प्रतिबंधों के चलते, विदेशों में फंस गए भारतीयों को सात मई से वापस लाया जाएगा. केंद्र ने विदेशों में फंसे भारतीयों से संबंधित मुद्दों के समाधान के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ को दी.
पीठ उस याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सुनवाई कर रही थी जिसमें केंद्र को यह निर्देश देने का आग्रह किया गया था कि वह उत्तराखंड में फंसे नेपाल के प्रवासी मजदूरों की वापसी का सुरक्षित मार्ग सुनिश्चित करे. शीर्ष अदालत से केंद्र को नेपाल में फंसे भारतीयों को वापस लाने का निर्देश दिए जाने का भी आग्रह किया गया था.
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति बी आर गवई की भी सदस्यता वाली पीठ को बताया कि मामले में उन्हें जानकारी दी गई है कि नेपाल सहित विभिन्न देशों में फंसे भारतीयों को सात मई से वापस लाने की शुरुआत की जाएगी. याचिकाकर्ता गंगा गिरि गोस्वामी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कोलिन गोंजाल्वेस ने पीठ को बताया कि उत्तराखंड में भारत-नेपाल सीमा पर फंसे अनेक प्रवासी मजदूरों को नेपाल वापस जाने की अनुमति मिल गई, लेकिन इनमें से 200 से अधिक लोग ऐसे हैं जो अब भी चंपावत जैसे स्थानों पर फंसे हैं और उन्हें अब तक वापस नहीं भेजा गया है. उन्होंने कहा कि लगभग एक हजार भारतीय भी नेपाल में फंसे हैं और वे वहां खराब स्थिति में हैं.
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