कोरोना वायरस महामारी के चलते देशभर में लॉकडाउन लागू है. इस लॉकडाउन में मजदूरों के लिए जीवन यापन करना बहुत मुश्किल हो गया है. इस बीच भारत में लेबर रिफॉर्म की भी दस्तक हो गई है. इसकी शुरुआत राज्य सरकारों की तरफ से की गई है. मध्य प्रदेश की शिवराज और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने श्रम कानून में सुधार की दिशा में कई अहम निर्णय किए हैं.
मध्य प्रदेश सरकार ने कॉटेज इंडस्ट्री यानी कुटीर उद्योग और छोटे कारोबारों को रोजगार, रजिस्ट्रेशन और जांच से जुड़े विभिन्न जटिल लेबर नियमों से छुटकारा देने की पहल की है. साथ ही कंपनियों और दफ्तरों में काम के घंटे बढ़ाने की छूट जैसे अहम फैसले भी किए गए. वहीं, यूपी सरकार ने राज्य में मौजूद सभी कारखानों और मैन्युफैक्चरिंग प्लांट को वर्तमान में लागू श्रम अधिनियमों में सशर्त अस्थायी छूट प्रदान करने का फैसला किया है.
मध्य प्रदेश में 8 घटे के बजाय 12 घंटे काम
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कारखानों और कार्यालयों में काम कराने की अवधि 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे की गई है. सप्ताह में 72 घंटे तक कार्य कराए जाने की अनुमति होगी. लेकिन इसके लिए श्रमिकों को ओवर टाइम देना होगा. दुकानों के लिए स्थापना अधिनियम में संशोधन किया गया है. अब प्रदेश में दुकानें सुबह 6 से रात 12 बजे तक खुली रह सकेंगी.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि कारखानों में 61 रजिस्टर और 13 रिटर्न भरने के पुरानी जरूरतों को खत्म कर दिया जाएगा. इसकी जगह पर केवल एक रजिस्टर और रिटर्न भरना होगा. रिटर्न फाइल करने के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन काफी होगा.
नए लेबर रिफॉर्म में संबंधित अधिकारी को कंपनियों, दुकानों, ठेकेदारों और बीड़ी निर्माताओं के लिए पंजीकरण या लाइसेंस की प्रक्रिया को केवल 1 दिन में पूरा करना होगा. ऐसा नहीं करने पर अधिकारी पर जुर्माना लगेगा और यह ट्रेडर को मुआवजे के तौर पर दे दिया जाएगा. अभी यह प्रक्रिया 30 दिन में पूरी होती है.
यूपी में कारखानों को श्रम अधिनियमों से अस्थायी छूट
वहीं उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने 6 मई को मंत्रिमंडल की बैठक में कुछ अहम फैसले किए. इनमें यूपी में लागू श्रम अधिनियमों से अस्थाई छूट प्रदान किए जाने संबंधी अध्यादेश, 2020 को मंजूरी दिया जाना भी शामिल रहा. कोरोना वायरस की वजह से राज्य में औद्योगिक गतिविधियों को बड़ा नुकसान हुआ है, इससे मजदूर भी प्रभावित हुए हैं. अब चीजें दुरुस्त करने के लिए यूपी सरकार ने आगामी तीन वर्ष की अवधि के लिए राज्य में मौजूद सभी कारखानों और मैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटीज को वर्तमान में लागू श्रम अधिनियमों में अस्थायी छूट प्रदान करने का फैसला किया है. लेकिन यह छूट कुछ शर्तों के साथ है, जैसे बंधुआ श्रम प्रथा (उत्सादन) अधिनियम 1976, कर्मचारी प्रतिकर अधिनियम, 1923, भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार (नियोजन व सेवा शर्तें विनियमन) अधिनियम, 1996 के प्राविधान लागू रहेंगे. बच्चों और महिलाओं के नियोजन से जुड़े श्रम अधिनियम के प्रावधान भी लागू रहेंगे. वेतन संदाय अधिनियम, 1936 की धारा 5 के तहत निर्धारित समय सीमा के अंतर्गत वेतन भुगतान का प्रावधान भी लागू रहेगा.
मालूम हो कि देश में जारी कोरोना संकट के कारण लॉकडाउन की स्थिति है. ऐसे में प्रवासी मजदूरों का अपनी राज्यों की ओर पलायन का सिलसिला लगातार जारी है. देश की अर्थव्यवस्था चौपट हो गई है और इसमें गंभीर गिरावट दर्ज होने की संभावना है. ऐसे में राज्य सरकारें अपने स्तर पर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश कर रही हैं.
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