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बिना लक्षण के 7 बार पॉजिटिव पाया गया वडोदरा का युवक, ICMR के नए दिशानिर्देशों पर सवाल

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गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के सचिव अश्विनी कुमार ने रविवार को कहा कि आईसीएमआर के नए दिशानिर्देशों के अनुसार, राज्य में कोरोना के मरीजों को 10 दिनों के इलाज के बाद बिना टेस्ट के अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी. यह नियम उन कोरोना रोगियों पर भी लागू होगा जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखाई देता है लेकिन उन्हें इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है और जो गंभीर रूप से बीमार नहीं हैं. इससे पहले कोरोना संक्रमित मरीजों को अस्ताल से तभी छ्ट्टी दी जाती थी जब उनके दो बार कोरोना टेस्ट नेगेटिव आते थे.

हालांकि राज्य केवल आईसीएमआर दिशानिर्देशों का पालन कर रहा है, लेकिन इसने कोरोना के मरीजों की संभावना के बारे में सवाल खड़े कर दिए हैं. करीब महीने भर आइसोलेशन में समय बिताने वाले 19 वर्षीय जय पाटनी को सात बार कोरोना पॉजिटिव पाया गया है. द प्रिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, पाटनी वडोदरा के हाई स्पीड रेलवे ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में दर्जनों कोविड-19 पॉजिटिव रोगियों में से एक है, जो कोरोना ऐसे रोगियों के लिए क्वारंटाइन सुविधा केंद्र है जिनमे रोग के हल्के लक्षण हैं या नहीं हैं. हालांकि, जांच के बाद से पाटनी में कोई लक्षण नहीं दिखा है.

उन्हें अपने माता-पिता के साथ 12 अप्रैल को कोरोना पॉजिटिव पाया गया था. पड़ोस में एक बच्चे के बीमार पड़ने और गुजर जाने के बाद उन्होंने परीक्षण कराने का फैसला किया. शुरुआत में, उनका मानना ​​था कि उसकी मृत्यु के पीछे कोरोनो वायरस था, लेकिन बाद में डेंगू होने का पता चला. वडोदरा के एमएस कॉलेज में प्रथम वर्ष का छात्र पाटनी और उसके माता-पिता वडोदरा के एक प्रमुख कोरोना हॉटस्पॉट नगरवाड़ा में रहते हैं.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के नए दिशानिर्देशों के अनुसार लक्षणों की शुरुआत के 10 दिन बाद बिना लक्षण वाले / हल्के लक्षणों वाले रोगियों को छोड़ने की अनुमति है. अब नए आईसीएमआर दिशानिर्देशों के तहत, पाटनी जैसे किसी व्यक्ति को छुट्टी दी जा सकती है क्योंकि वह कोई स्पष्ट लक्षण नहीं दिखा रहा है. फिर भी अगर पाटनी को घर भेजा जाता है तो उनसे दूसरों को संक्रमित का खतरा है और उन्हें भी इसका डर है.

ICMR के नए दिशानिर्देश राज्य को परीक्षण किट की कमी से लड़ने और डिस्चार्ज की संख्या बढ़ाने में मदद कर सकते हैं. लेकिन यह इस बारे में गंभीर प्रश्न उठाता है कि अगर पटनी जैसे रोगियों को बिना नेगेटिव टेस्ट के छुट्टी दे दी जाती है औतो क्या यह संक्रमण में वृद्धि का कारण नहीं बनेगा.

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