गुजरात में कोरोना वायरस का आतंक बढ़ता ही जा रहा है. इस बीच खबर है कि गुजरात जल्द ही भारत का पहला ऐसा राज्य हो सकता है जहां कोविड-19 से मौत पर पैथॉलजी और रोग प्रगति में रिसर्च यानी अटॉप्सी (शव परीक्षण) की सुविधा दी जा सकती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि इस राज्य में कोरोना मृत्यु दर आसमान छू रही है. खासतौर से अहमदाबाद में कोरोना वायरस के कारण मरने वालों की संख्या बेहद तेजी से बढ़ती जा रही है. अहमदाबाद में अब तक 400 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है.
राज्य के उप मुख्यमंत्री नितिन पटेल की अगुआई में राज्य की रिसर्च समिति ने वरिष्ठ डॉक्टरों को प्रोटोकॉल, मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) और एहतियाती उपायों के साथ जरूरती सुविधाओं की एक लिस्ट भेजी है. गाइडलाइन में कोरोना वायरस से मरने वालों की अटॉप्सी करने को कहा गया है ताकि उसके बेस पर रिसर्च हो सके.
अहमदाबाद में बीजे मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ डॉक्टरों को गाइडलाइन भेजी गई हैं. बीजे मेडिकल कॉलेज में पैथॉलजी की एचओडी डॉ. हंसा गोस्वामी ने बताया कि हमें एसओपी तैयार करने और कोविड-19 रोगियों की अटॉप्सी करने के लिए तैयार होने के लिए कहा गया है जो गुजरात में अब तक नहीं किया गया हैं. अब हम गाइडलाइन तैयार कर रहे हैं.
क्या है अटॉप्सी?
मेडिकल कॉलेजों के फरेंसिक विभाग मेडिको लीगल मामलों में पुलिस की मदद के लिए शव का पोस्टमॉर्टम करते हैं. किसी भी बीमारी की मरे व्यक्ति की अटॉप्सी करके पैथॉलजिस्ट उसका अध्ययन करते हैं तो उसे पैथलॉजिस्ट या क्लिनिकल अटॉप्सी कहा जाता है.
हालांकि कोविड-19 महामारी के दौरान शव परीक्षण करने के लिए पर्याप्त स्टाफ न होना चिंता का विषय है. कोविड-19 रोगियों का उपचार ज्यादातर मेडिसिन के डॉक्टरों, आपातकालीन चिकित्सा, पल्मोनोलॉजी और संबंधित स्टाफ के कर्मचारियों के साथ होता है जबकि शव परीक्षण पैथॉलजिस्ट डॉक्टरों और फरेंसिक मेडिसिन विभाग करेगा.
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