पिछले मंगलवार को अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) के आयुक्त विजय नेहरा ने अचानक ट्विटर पर घोषणा की थी कि वे कोरोना पॉजिटिव मरीजों के संपर्क में आने की वजह से अगले दो सप्ताह के लिए होम क्वारेंटाइन में रहेंगे. इसके कुछ ही मिनटों बाद गुजरात सरकार ने पूर्व नगर आयुक्त मुकेश कुमार को एमएमसी का कार्यभार सौंप दिया था.
इस खबर से हर कोई हैरान था कि शहर में कोरोना के घोर संकट के बीच जिले की टीम का कप्तान अपने काम से कैसे दूर हो सकता है. लेकिन ये दूर होने या किए जाने की प्रक्रिया काफी समय से चल रही थी. मामले की जानकारी रखने वाले सूत्रों ने गुजरात एक्सक्लूसिव को बताया कि नेहरा के लिए चीजें कैसे खराब हुईं. कुछ महीने पहले भाजपा के ज्यादातर नगर पार्षदों ने नेहरा को लेकर कई शिकायतें की थीं, जिन पर कभी ध्यान नहीं दिया गया. कहा जा रहा था कि नेहरा को भाजपा के दिग्गजों नेताओं की सह है. लेकिन अहमदाबाद में कोरोना संकट की शुरुआत के बाद से उनकी लोकप्रियता जल्दी से कम हो गई.
पहला झटका तब लगा जब उन्होंने घोषणा की कि अगर अहमदाबाद के नागरिक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं करेंगे और लॉकडाउन का गंभीरता से नहीं लेंगे तो अहमदाबाद में कोरोना के मामले एक सप्ताह में एक लाख तक बढ़ सकते हैं. उनका यह बयान न केवल वहां के नागरिकों के लिए, बल्कि नेताओं के लिए भी एक सदमे की तरह था. इस पर भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने अपनी नाराजगी व्यक्त की थी.
यह चिंताजनक बात थी क्योंकि वह उस अहमदाबाद शहर के बारे में बात कर रहे थे जिसने कुछ दिन पहले ही नमस्ते ट्रंप के रूप में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम में अमेरिकी राष्ट्रपति की मेजबानी की थी और इस कार्यक्रम में दो लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया था. इसके अलावा, अहमदाबाद गुजरात के सबसे विशेष शहर है. इस तरह के बयानों से राज्य सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी उठानी पड़ी थी और यह सोचने पर मजबूर कर दिया था कि अहमदाबाद में न सिर्फ संकट को काबू में करने की जरूरत है, बल्कि शहर के हालात को लेकर भी नियमित घोषणाओं की जरूरत है.
इसके अलावा सूत्रों ने यह भी दावा किया कि राजनीतिक हलकों में इसकी भी चर्चा होने लगी थी कि नेहरा ने अपने फेसबुक लाइव प्रसारण के दौरान अच्छा दिखने के लिए मेकअप करना शुरू कर दिया था क्योंकि ज्यादातर टीवी चैनल इसे लाइव दिखाते थे. हालांकि यह पुख्ता नहीं है कि उन्होंने वास्तव में ऐसा किया है, लेकिन ऐसी कहानियां गुजरात के राजनीतिक गलियारों में पहुंची. इससे नेहरा के लिए और समस्याएं खड़ी हो गईं क्योंकि शहर के इतिहास में सबसे बड़े संकट के समय ऐसी चीजों को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है.
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जो दो दशकों से गांधीनगर, गुजरात की नौकरशाही और राजनीति को करीब से देख रहै हैं)
https://archivehindi.gujaratexclsive.in/the-internal-story-of-jayanthi-ravis-downfall-did-proximity-to-sonia-gandhi-cost-her/