मध्य प्रदेश के बॉर्डर इलाके से छत्तीसगढ़ के एक अस्पताल ले जाने के दौरान 78 साल के एक बुजुर्ग की हार्ट अटैक से मौत हो गई क्योंकि बॉर्डर पर पुलिस एक घंटे तक उनसे पूछताछ करती रही, जबकि उनके पास ई-पास भी था. पुलिस ने पहले तो उनके ई-पास को मानने से इनकार कर दिया फिर बाद में उनके रूट पर आपत्ति जताई. इतना ही नहीं, जब बुजुर्ग की मौत हो गई तब भी, पीड़ित परिजनों को पुलिस वालों की प्रताड़ना झेलनी पड़ी.पुलिसकर्मियों ने उन पर लाश छिपाने का आरोप लगा दिया.
दरअसल, एमपी के उमरिया निवासी केशव मिश्रा को इलाज के लिए मंगलवार को उनके बेटे राकेश मिश्रा जो सरकारी कर्मचारी हैं और नीलेश मिश्रा छत्तीसगढ़ ले जा रहे थे. उनके साथ उनकी मां भी थीं. इस परिवार के पास ई-पास भी था. उनकी योजना थी कि बुजुर्ग मरीज को बिलासपुर के एक अस्पताल में दाखिल कराएं लेकिन मरीज की तबीयत बिगड़ने लगी तब गाड़ी को कोरिया जिले के मनेंद्रगढ़ की तरफ मोड़ दिया.
मृतक बुजुर्ग के बेटे राकेश ने बताया, “हम धनपुरी को पार कर चुके थे और मनेन्द्रगढ़ मुश्किल से 90 किमी दूर था, जबकि बिलासपुर लगभग 200 किमी दूर था. चूंकि मनेंद्रगढ़ के पास एक समर्पित एसईसीएल अस्पताल है, इसलिए हमने उन्हें वहीं ले जाने का फैसला किया था.” उन्होंने बताया कि कोरिया सीमा पर उन्हें पुलिसकर्मियों ने रोक लिया.
राकेश ने कहा, “पहले वे नाराज़ थे कि मेरे पास एक प्रिंटेड पास नहीं है. उन्होंने कहा कि वे ई-पास को स्वीकार नहीं करेंगे. बहुत बहस करने के बाद, जब उन्होंने मेरा पास देखने का फैसला किया, तो उन्होंने मुझे बताना शुरू कर दिया कि मैं बिलासपुर जाने के लिए गलत रास्ते से आया हूँ.” उन्होंने बताया कि बहस लंबी खिंचने के बाद बुजुर्ग मरीज खुद कार से निकलकर बाहर आए और पुलिसकर्मियों हाथ-पांव जोड़े लेकिन उन पर कोई असर नहीं हुआ.
बतौर राकेश, पुलिस के साथ बहस करते हुए करीब एक घंटे से ऊपर हो गए थे. इसी बीच उनके पिता की हार्ट अटैक से मौत हो गई. वो पुलिस से आरजू मिन्नत कर रही रहे थे कि कार में बैठी मां चिल्लाने लगी. उनके पिता का देहांत हो चुका था.
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