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दिल्ली में प्रवासी मजदूरों के साथ अमानवीयता, किराया नहीं तो मकान खाली, बच्चों संग पैदल निकलने श्रमिक

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कोरोना वायरस महामारी का संकट जो देश में आया है, उससे सबकुछ ठप हो गया है. लॉकडाउन के कारण कई तरह की पाबंदियां लगी हैं, जिसका सबसे गहरा असर देश के मज़दूरों पर पड़ा है. देश के अलग-अलग शहरों में प्रवासी मज़दूरों का बुरा हाल है और वो पैदल ही घर जाने के लिए मज़बूर हैं. देश के कई हिस्सों की तरह राजधानी दिल्ली का भी यही हाल है. यहां कुछ मजदूरों को उनके मकान मालिक ने निकाल दिया, जिसके बाद अब घर वापस जाने के अलावा कोई चारा नहीं है.

शुक्रवार सुबह दिल्ली-गाज़ीपुर बॉर्डर पर कई प्रवासी मज़दूर एकत्रित हुए जो उत्तर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों के रहने वाले हैं. अब यहां से वो पैदल घर का सफर तय करने वाले हैं. इन्हीं मज़दूरों में से एक रीटा का कहना है, ‘मेरा घर हरदोई में है…किराया नहीं देने की वजह से मकान मालिक ने घर से निकाल दिया. अब हमारे छोटे बच्चे हैं और पैदल ही घर जाने के अलावा कोई चारा भी नहीं है’.

गौरतलब है कि यही कहानी देश के अलग-अलग हिस्सों से हर मज़दूर की आ रही है. जिसके बाद खाने को या कमाने को कुछ नहीं है और मजबूरी में घर के लिए रवाना हो रहा है. कोई सार्वजनिक वाहन ना होने के कारण मजदूरों को पैदल ही या फिर साइकिल के भरोसे अपने घर जाना पड़ रहा है.

केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार की सिफारिशों पर श्रमिक स्पेशल ट्रेनें भी चलाई जा रही हैं, जिसमें लाखों मजदूर घर वापस जा भी चुके हैं. लेकिन इन ट्रेनों का फायदा हर किसी को नहीं मिल पा रहा है क्योंकि इन ट्रेन में वही सफर कर सकता है.

जिसकी जानकारी स्थानीय अफसर और संबंधित राज्य सरकारों द्वारा दी गई हो, ऐसे में लाखों की संख्या में मजदूरों को अभी भी भटकना पड़ रहा है. वहीं, जो स्पेशल ट्रेनें शुरू हुई हैं वो राजधानी हैं और उनका टिकट सामान्य ट्रेनों से महंगा भी है ऐसे में इन प्रवासी मजदूरों के लिए वो खरीदना संभव नहीं है.

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