सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को औरंगाबाद ट्रेन हादसे के मामले में सुनवाई करने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा, अगर लोग ट्रैक पर सो जाएं तो क्या किया जा सकता है? इसके अलावा कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि जिन मजदूरों ने पैदल चलना शुरू कर दिया उन्हें कैसे रोका जाए. औरंगाबाद में हाल ही में हुए ट्रेन हादसे में 16 मजदूरों की मालगाड़ी से कटकर मौत हो गई थी.
प्रवासी मजदूरों को रोकने के सवाल पर केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, राज्य सरकारें ट्रांसपोर्ट की व्यवस्था कर रही हैं. लेकिन लोग गुस्से में पैदल ही निकल रहे हैं. इंतजार नहीं कर रहे हैं. ऐसे में क्या किया जा सकता है. उन्होंने कहा, सरकारें केवल उनसे पैदल नहीं चलने के लिए रिक्वेस्ट ही कर सकती हैं. इनके ऊपर बलप्रयोग भी तो नहीं किया जा सकता.
महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से मांगा जवाब
सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से जवाब देने को कहा है कि इन राज्यों ने प्रवासी मजदूरों की मदद के लिए अफसरों को तैनात करने के लिए क्या कदम उठाए हैं.
गौरतलब हो कि लॉकडाउन ने सबसे अधिक कमर अगर किसी की तोड़ी है तो वे है दिहाड़ी और कंम्पनियों में काम करने वाले मजदूरों की. जैसे ही लॉकडाउन घोषित हुआ, तो उनका रोजगार छीन गया और वे बेरोजगार हो गए. जैसे-तैसे कर कुछ दिन तो उन्होंने काट लिए, लेकिन अब उनके पास नकदी खत्म हो गई और उनके समक्ष दो जून की रोटी के भी लाले पड़ने शुरू हो गए.
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