कोरोना वायरस की वजह से लागू लॉकडाउन में प्रवासी श्रमिकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. इसके मद्देनजर गृह मंत्रालय ने राज्यों से प्रवासी श्रमिकों को अपने घरों तक पहुंचाने के लिए ज्यादा ट्रेनों के संचालन की इजाजत देने को कहा है.
गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा कि श्रमिकों के लिए चलाई जा रही ट्रेनों या बसों के बारे में अधिक स्पष्टता की जरूरत है. कुछ अफवाहों की वजह से प्रवासी श्रमिकों के लिए परेशानी उत्पन्न हो रही है.
इससे पहले सोमवार को करीब 15 हजार प्रवासी मजदूर ट्रेन के पास के लिए गाजियाबाद के घंटाघर और कविनगर के रामलीला मैदान में उमड़ पड़े थे. हर कोई पास लेने के लिए बेसब्र था. कई दिन से धक्के खा रहे इन मजबूर मजदूरों को बिहार और पूर्वांचल जाने वाली रेलगाड़ियों में भी टिकट नहीं मिलने का डर था. प्रशासन भी इतनी भीड़ के लिए तैयार नहीं था. लिहाजा दोनों जगह सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां तो उड़ी हीं, भूखे-प्यासे बच्चे और महिलाओं को भी आठ से दस घंटे तेज धूप और लू के थपेड़े झेलने पड़े. इसके बाद भी 7,200 मजदूर ही अपने घरों के लिए रवाना हो सके.
बता दें कि लॉकडाउन की वजह से जहां-तहां फंस गए मजदूरों के लिए रेलवे ने एक मई से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को चलाने का फैसला लिया था. इसके बाद से अब तक लाखों मजदूरों को उनके गृह राज्य तक पहुंचाया गया है. रेलवे के अनुसार, एक मई से 15 मई तक तकरीबन 15 लाख श्रमिकों को उनके घरों तक पहुंचाया गया है. इस दौरान 1074 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया जा चुका है.
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