केंद्र सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को लेकर नए निर्देश जारी किए है. नए आदेश के मुताबिक, अब जिस राज्य के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेन रवाना हो रही है, अब वहां की सरकार की इजाज़त ज़रूरी नहीं होगी. अब तक जिस राज्य से ट्रेन जा रही है और जिस राज्य पहुंच रही है दोनों की सहमति ज़रूरी होती थी. इसके अलावा अब रेलवे मुख्यतौर पर इन ट्रेनों का रूट तय करेगी. अब तक राज्य सरकारें रेलवे को ट्रेन चलाने की मांग करती थी
आपको बता दें कि बता दें कि लॉकडाउन की अवधि बढ़ाए जाने से काम-धंधा बंद होने के कारण बेबस प्रवासी मजदूरों के सामने जब रोटी का संकट उत्पन्न हुआ तो वो पैदल ही रेल पटरियों और सड़कों के रास्ते अपने घर के लिए निकल पड़े.
अब क्या होगा- नए आदेश के बाद साफ है कि रेलवे की अब तय करेगा ट्रेन कब और कहां चलेंगी. इसके अलावा उनके स्टॉपेज भी रेलवे ही तय करेगा.गृह मंत्रालय ने राज्यों और रेल मंत्रालय के बीच सक्रिय समन्वय द्वारा अधिक विशेष ट्रेनों के संचालन को कहा है.
गृह मंत्रालय ने राज्यों को प्रवासियों के लिए बसों की संख्या बढ़ाने को कहा है. साथ ही, अंतरराज्यीय सीमाओं पर प्रवासियों को ले जाने वाली बसों के प्रवेश की अनुमति भी राज्य सरकार को जल्दी देने को कहा है. भारतीय रेल ने एक मई से लेकर अब तक 1,414 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं और उनमें से अधिकतर ने गुजरात और महाराष्ट्र से प्रस्थान किया.
रेलवे यह जानकारी देते हुए सोमवार को बताया कि 162 ट्रेन अभी रास्ते में हैं और 1,252 ट्रेन अपने गंतव्य पर पहुंच चुकी हैं. रेलवे ने कहा कि लगभग 116 ट्रेनें और चलाए जाने की प्रक्रिया में हैं. रेलवे ने एक मई से अब तक लगभग 18.5 लाख प्रवासियों को उनके घर पहुंचाया है.
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