कोरोना संकट के चलते देश में एक तरफ बेरोजगारी चरम पर है और दूसरी तरफ मौजूदा नौकरियों पर भी संकट मंडरा रहा है. देश के प्रमुख सेक्टर्स में 7 करोड़ के करीब नौकरियां जा सकती हैं. अकेले टूरिज्म और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में ही 3.8 करोड़ लोगों की नौकरियों पर संकट पैदा हो गया है. टेलिकॉम सेक्टर में ही अब तक 70,000 से ज्यादा नौकरियां जा चुकी हैं. इस सेक्टर में लगभग 20 लाख लोग जुड़े हुए हैं. कोरोना से निपटने के लिए लागू हुए लॉकडाउन की अर्थव्यवस्था पर मार का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि देश में 40 फीसदी लोगों की सैलरी में कटौती हो सकती है.
इस बीच कैब ऐग्रिगेटर कंपनी उबर ने मंगलवार को भारत में अपने 600 कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया. कंपनी के भारत में कुल 2,600 कर्मचारी हैं, जिनमें से करीब 25 पर्सेंट वर्कफोर्स को कंपनी ने हटा दिया है. पिछले ही सप्ताह ओला कैब ने 1,400 लोगों की छंटनी की थी. वहीं ऑनलाइन फूड डिलिवरी कंपनी स्विगी ने 1,100 कर्मचारियों की छुट्टी की है.
उससे पहले जोमैटो ने अपने 520 कर्मचारियों को हटा दिया है. सैलरी कट की बात करें तो रिलायंस, टेक महिंद्रा, कोटक महिंद्रा बैंक जैसे कई अहम संस्थानों ने इस तरह का फैसला लिया है. सेकंड हैंड कारों को बेचने वाली मशहूर कंपनी कार देखो ने 200 कर्मचारियों की छंटनी की है. इसके अलावा अन्य बचे कंपनियों की सैलरी में कंपनी ने 22.5 पर्सेंट की कमी है.
किन सेक्टर्स में नौकरियों पर संकट
ऑटो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में 20 से 30 लाख लोगों की नौकरियां जा सकती हैं. ऑटो डीलरशिप में 40 लाख लोग कार्यरत है, जिनमें से 2 लाख लोगों की जॉब पर संकट है. रिटेल सेक्टर में अगले 3 महीनों में 60 लाख लोगों की नौकरियों पर संकट है. इंटरनेट बिजनेस में 80,000 से 1 लाख नौकरियों पर खतरा है. इसके अलावा रियल एस्टेट सेक्टर में 14 मिलियन यानी 1.4 करोड़ लोग बेरोजगार हो सकते हैं. हॉस्पिटैलिटी ऐंड टूरिज्म सेक्टर में 3.8 करोड़ लोगों की जॉब जा सकती है. एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में 6 लाख नौकरियों पर खतरा है और यदि माहौल नहीं सुधरा तो यह संकट और गहरा सकता है.
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