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तालाबंदी से श्रमिकों को होने वाली परेशानी शब्दों में नहीं बयां की जा सकती: PM मोदी

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कोरोना वायरस को लेकर लागू तालाबंदी के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीसरी बार रेडिया कार्यक्रम मन की बात के तहत देशवासियों को संबोधित किया. कार्यक्रम की शुरूआत में उन्होंने पिछले मन की बात और आज के मन की बात के दौरान हालात में कितने बदलाव आए उसकी चर्चा की. उन्होंने कहा कि इससे पहले जब मन की बात के तहत देशवासियों को संबोधित किया था तब पूरे देश में संपूर्ण तालाबंदी थी लेकिन लेकिन आज बहुत कुछ खुल गया है और धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था पटरी पर आ जाएगी इसलिए लोगों को और ज्यादा सतर्क रहने की जरुरत है.

देशवासियों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि देशवासियों की संकल्पशक्ति की वजह से आज कोरोना के खिलाफ मजबूती से लड़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी जनसंख्या दूसरे देशों के मुकाबले काफी ज्यादा है बावजूद इसके कोरोना उतनी तेजी से नहीं फैल सका जितना अन्य देशों में तेजी से दस्तक दिया था. इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि कोरोने से होने वाली मौत का आकड़ा भी हमारे देश में काफी कम है. लेकिन ये जरुर है कि कोरोना ने काफी नुकसान भी किया है.

कोरोना महामारी से हुई नई खोज

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात में कहा, किसी भी परिस्थिति को बदलने के लिए इच्छाशक्ति के साथ ही बहुत कुछ इनोवेशन पर भी निर्भर करता है. हजारों साल की मानव जाति की यात्रा लगातार इनोवेशन से ही इतने आधुनिक दौर में पहुंची है. उन्होंने कहा कि मैं सोशल मीडिया में कई तस्वीरें देख रहा था जिसमें दुकानदारों ने दो गज की दूरी के लिए, दुकान में बड़े पाइप लाइन लगा लिए हैं, जिसमें, एक छोर से वो ऊपर से सामान डालते हैं, और दूसरी छोर से ग्राहक अपना सामान ले लेते हैं.”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि तालाबंदी की वजह से ”हमारे देश में भी कोई वर्ग ऐसा नहीं है जो कठिनाई में न हो. लेकिन इस संकट की सबसे बड़ी मार अगर किसी पर पड़ी है तो वो हैं हमारे गरीब, मजदूर, श्रमिक मजदूर उनकी तकलीफ, उनका दर्द, उनकी पीड़ा को शब्दों में नहीं बयां किया जा सकता” लेकिन कोरोना के खिलाफ लड़ाई का जो रास्ते हमने चुना है वह काफी लंबा है. यह एक ऐसी महामारी है जिसका पूरी दुनिया के पास अभीतक कोई इलाज नहीं है. ना ही इसका किसी को पहले का अनुभव है. इसलिए नित नई- नई चुनौतियों और उसके कारण होने वाली परेशानियां हमें परेशान कर रही हैं. उन्होंने कहा कि प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंताने के लिए रेलवे विभाग दिन-रात काम कर रहा है. केंद्र हो, राज्य हो या फिर स्थानीय स्वराज की संस्थाएं सभी लोग प्रवासी मजदूरों को होने वाली परेशानी को अपनी परेशानी समझकर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं. जिस प्रकार रेलवे के कर्मचारी आज जुटे हुए हैं, वो सभी कोरोना वॉरियर्स के पहले पायदान पर हैं.

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