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#Column: कोरोना पर नियंत्रण करके गुजरात के मुख्य सचिव पद की होड़ में जुटे IAS अधिकारी

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गुजरात के मुख्य सचिव अनिल मुकीम इस साल अगस्त में सेवानिवृत्त हो रहे हैं. वह गुजरात कैडर के 1985 बैच के अधिकारी हैं. 1985 बैच के लगभग सभी IAS अधिकारी अनिल मुकीम के रिटायर्ड होने तक सेवानिवृत्त हो जाएंगे. ऐसे में अब मुकाबला 1986 बैच के शीर्ष अधिकारियों के बीच होगी. गुजरात नौकरशाही के सूत्रों के मुताबिक, इसके लिए 1986 बैच की संगीता सिंह, पंकज कुमार, राजीव गुप्ता और गुरुप्रसाद महापात्रा के बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है.

इसमें से गुरुप्रसाद महापात्रा के पास सबसे अच्छा मौका है क्योंकि वह देश की शीर्ष रहनुमाई के करीब हैं, लेकिन साथ ही उनके पास डिपार्टमेंट फॉर प्रमोशन ऑफ इंडस्ट्री एंड इंटरनेशनल ट्रेड के सचिव के रूप में भारत में उद्योग जगत को बढ़ावा देने की एक बड़ी जिम्मेदारी है. प्रधानमंत्री के आत्मनिर्भर भारत विजन में उनकी एक बड़ी भूमिका है. ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि उन्हें राज्य सरकार में भेजा जाएगा या नहीं.
गृह विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव संगीता सिंह एक अन्य दावेदार हैं, लेकिन उनके पास काम करने के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है क्योंकि वह इस साल अक्टूबर में सेवानिवृत्त हो रही हैं. उन्हें केवल दो महीने का वक्त मिलेगा और यह उनके खिलाफ जा सकता है. ऐसे में सबसे कठिन मुकाबला वन और पर्यावरण विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव कुमार गुप्ता और राजस्व विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पंकज कुमार के बीच होने की उम्मीद है.

दोनों अधिकारी इस बात को अच्छी तरह से जानते हैं और मुकाबले को आगे बढ़ाने के लिए कोरोना संकट के दौरान अपने प्रदर्शन पर ध्यान केंद्रित कर रहे है. कुमार कोरोना महामारी से निपटने के लिए पूरे राज्य के प्रभारी हैं जबकि राज्य में सबसे ज्यादा प्रभावित अहमदाबाद में स्थिति को संभालने का प्रभार गुप्ता के पास है.

दोनों आईएएस अधिकारी अपनी जिम्मेदारी की अहमियत को अच्छे से समझते हैं और इसलिए वे इस स्थिति में दूसरों से आगे निकलने के लिए अतिरिक्त प्रयास कर रहे हैं. गुप्ता अहमदाबाद में स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए बहुत मेहनत कर रहे हैं ताकि वह अपने मंसूबे में कामयाब हो सकें. यदि वह सफलतापूर्वक और जल्दी से अहमदाबाद की स्थिति को नियंत्रण में लाते हैं, तो शीर्ष पद के लिए उनका दावा मजबूत हो जाएगा. वहीं अगर धवन वेंटिलेटर खरीद विवाद और परीक्षण की संख्या में कमी पर मीडिया के विरोध सहित मुद्दों के बीच कुमार राज्य में कोरोना संकट को संभालते हैं, तो वह भी एक मजबूत दावेदार हो सकते हैं.

यानी ऐसा लगता है कि नौकरशाही में शीर्ष पद के लिए अंतिम मुकाबला कुमार और गुप्ता के बीच है और वे कोरोना संकट के दौरान अपनी जिम्मेदारियों को कैसे संभालते हैं, यह उनके दावों को मजबूत करने की कुंजी होगी. अब तक मुकाबला नजदीकी लग रहा है.

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, जो दो दशकों से गांधीनगर, गुजरात की नौकरशाही और राजनीति को करीब से देख रहै हैं)

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